For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिंदगी है प्यासी सुधा के लिए..

  जिंदगी है प्यासी सुधा के लिए..
जिंदगी है प्यासी सुधा के लिए,
और तुम तो ज़हर ही पिलाते रहे.
गुन  गुनाते रहे हम मधुर राग में,
मेरे राहों में कांटे बिछाते रहे,
नहीं चाहता मैं ऊँची अटारी ,
सच्चाई  हमको है दुनिया में प्यारी.
मैं चाहता हूँ शीतल हवाएं ,
तुम तो धरा को तपाते रहे,
खिले हों सुमन, और नजदीक  हों ,
तो मेरी नज़र भी  ना मजबूर हो.
मैं पलकें  उठाये खड़ा रह गया ,
और तुम तो दीवारें उठाते रहे,
मेरे अधरों में देखो मधुर राग है,
मेरे पलकों में  दुनियां का  समभाव  है,
नहीं चाहता कोई बर्बाद हो पर,
तुम तो हकीक़त छुपाते रहे,
जब तेरी ये दुनिया मुनासिब नहीं,
ऐसी दुनिया का मैं भी हूँ आशिक नहीं.
मेरी तकदीर ऊँची सदा के लिए ,
और तुम बंधनों को लगाते रहे.   

-------रामेश्वर नाथ तिवारी

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tilak Raj Kapoor on June 1, 2011 at 6:34pm

खूबसूरत।

Comment by Ajay Singh on June 1, 2011 at 5:27pm
veryyyyy  gooooodddd
Comment by Abhinav Arun on May 30, 2011 at 12:23pm
waah achchee zameen kee rachna aur behad prabhaaavee bhee badhaaee kabool karen r.n. jee

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 30, 2011 at 9:57am
आदरणीय आर एन तिवारी जी, अच्छी रचना प्रस्तुत किया है आपने, भाई राणा ने कुछ इशारा किये है, निवेदन है की अन्य साथियों की रचनाओं पर भी अपनी बेबाक राय दिया करे, जिससे सार्थक साहित्य सृजन में सहयोग हो सके |

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on May 29, 2011 at 3:07pm

आदरणीय तिवारी जी 

आपका ई- मेल मिला ...अस्तु यहाँ चाला आया|

रचना अच्छी है ..कथ्य अच्छा है ..शिल्प में थोड़ी कमियां हैं...इसके अतिरिक्त व्याकरण की दृष्टि से भी एक दो जगह त्रुटियाँ हैं ..मसलन 

"नहीं ताज हमको है दुनिया में प्यारी"...यहाँ पर ताज का लिंग गलत तरीके से प्रयोग किया गया है\

 

मेरे पलकों में दुनियां की सुभाग है,...यहाँ भी सुभाग का गलत लिंग चुना गया है|

 

बहुत बहुत धन्यवाद\

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Dec 31, 2024

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service