For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक सूरज ...

सो गया
थक कर
सिंधु के क्षितिज़ पे
ख़ुदा के दर पे
ज़मीं के
बशर के लिए
चैन-ओ-अमन की
फरियाद लिए
जलता हुआ
एक सूरज

संचार हुआ
नव जीवन का
भर दिया
ख़ुदा के नूर को
ज़मीं के ज़र्रे ज़र्रे में
करता रहा भस्म
स्वयं को
स्वयं की अग्नि में
बशर के
चैन-ओ-अमन
के लिए
एक सूरज

रो पड़ा
देखकर
बशर की फितरत

नूरे बख़्शीश को
समझ न सका

ग़ुरूर में
खुद को
ख़ुदा से बढ़ा कर लिया

लगा नापने
ज़मीन-ओ-आसमाँ को
अपने अहम् के पाँव से

शायद इसीलिये
रोज रोज
थक हारकर
सो जाता है
बशर को
समझाते समझाते
सिंधु के क्षितिज़ पे
अपने में
उम्मीद के
सूरज को समेटे
एक सूरज

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 422

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on February 22, 2017 at 6:43pm

आदरणीय Mohammed Arif साहिब प्रस्तुति की आत्मीय प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 22, 2017 at 6:42pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी सृजन के भावों ने आपको छुआ, सृजन उपकृत हुआ , हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on February 22, 2017 at 6:41pm

आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब प्रस्तुति में निहित भावों को सम्मान देने का शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on February 22, 2017 at 6:40pm

आदरणीया Neelam Upadhyaya जी प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on February 22, 2017 at 6:37pm

आ.शिज्जु शकूर साहिब रचना को अपने आत्मीय स्नेह से पल्लवित  करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Mohammed Arif on February 21, 2017 at 5:16pm
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 4:33pm
आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत रचना की आपने, इस खूबसूरत अतुकांत के लिए बधाई निवेदित हैं।
Comment by Neelam Upadhyaya on February 21, 2017 at 4:06pm

अदरणीय सुशील सरना जी, बहुत ही बेहतरीन रचना । बधाई स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on February 21, 2017 at 3:16pm

बहुत सुंदर आ. सुशील सरना जी बेहतरीन रचना हुई है बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service