बासंती उमंग
आज सुबह से ही बहुत भागमभाग रही|भगवानजी को पीले वस्त्रों से सुसज्जित किया ,तोरण, बंदनवार मीठे चावल ,केसरिया खीर बनाकर सरस्वतीजी को भोग लगाया |बच्चों को कई बार याद किया क्योंकि सजावट के ये सारे काम उन्हीं के सुपुर्द थे ,और वे भी बड़े उत्साह से सारी तैयारी कराते थे | ड्राइंग क्लास ,संगीत क्लास व घर की पूजा |तीनों जगह की पूजा करते करते न तो दम फूलता था ,न ही कोई परेशानी होती थी पर आज तो सुबह से ही थकान लग रही है |काम सब हो रहे हैं पर न तो कोई उमंग है न ही कोई उत्साह |बसंत के मौसम में ये क्या हो रहा है ,समझ में ही नहीं आ रहा है |सोचा थोड़ा आराम करके बचे हुए काम निबटा दूँगी |
मोबाइल ले के व्हाट्सेप खोला तो सबसे पहले सखियों की बसंतपंचमी की शुभकामनाएं व बधाइयां मिली |धीरे धीरे सभी रिश्तेदारों के अकाउंट खोले सभी ने बसंतपंचमी की शुभकामनाएं दी थीं |फोटो ,सुविचार,शुभदिन ,शुभवंदन घुमाफिरा कर एक जैसे ही लग रहे थे |वही पीला फूल ,सरस्वतीजी की फोटो .....लगता था अरे अभी तो देखा था |मन बुझा सा जा रहा था ,कोई उमंग मन में नहीं उठ रही थी |कहने को तो इस आभासी दुनिया में सौ से ज्यादा मित्र हैं ,सभी ने कॉपी –पेस्ट करके सन्देश अग्रेषित किये थे पर उनके दिल की बात मुझ तक नहीं पहुँच रही थी |लग रहा था उधार के ली शुभभावनाओं तथा शुभकामनाओं के जुमलों की नुमाईश की जा रही है|सभी में सन्देश भेजने की जल्दी थी और काम निबटाने का भाव ज्यादा दिखता था|बार बार ये भावना मेरे मन मस्तिष्क पर हावी होती जा रही थी| क्या मेरा कोई भी ऐसा मित्र नहीं है जो सच्चे मन से याद करता है और अपनी ओर से दो शब्द मुझे लिखे |सोच सोच कर दिल बैठा जा रहा है ,अवसाद मुझपर हावी होता जा रहा है |आना जाना तो पहले ही नहीं के बराबर रह गया है |फोन पर ही हालचाल लेने लगे हैं |व्हाट्सेप के आने के बाद से तो सम्बन्ध शायद स्माइली ,थम्सअप व ओ.के जैसे इशारों तक ही सीमित रह गए हैं
नहीं ..नहीं ऐसा नहीं है |मेरे जैसे सोचने वाली और भी मेरी सखियाँ होंगी ,कम से कम उनकी सहायता तो मैं कर ही सकती हूँ |कहते हैं ना आप खुश तो जग खुश |अच्छी सहेली का कर्तव्य तो मैं निभा ही सकती हूँ |एक झटके से उठी और अपने हाथों से लगाईं बगिया के पीले गेंदे ,कारनेशन की फोटो खींची ,मेहनत से बनाए खिले खिले मीठे चावल के डोंगे के मेवों से सजा कर ,बसंत की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ फोटो खींच कर सबको भेजी |यह सब करने से कम से कम मेरा मन बासंती उमंग व उत्साह से भर गया |
मनीषा सक्सेना
१०-०२-२०१७
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आप सभी गुणीजनों को बहुत बहुत धन्यवाद |देरसे अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए माफी चाहती हूँ |मनीषा सक्सेना |
आभासी दुनिया में डूबे आज का सच ...हार्दिक बधाई आदरणीया मनीषा सक्सेना जी
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