For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सीढ़ियाँ – लघुकथा -

   सीढ़ियाँ – लघुकथा -

 "सर, यह क्या सुन रही हूँ।आप तो डाइरेक्टर बनने वाले थे।मगर आप को जी एम से डिमोट कर के मैनेजर बना दिया"।

"यह सब तुम्हारी वज़ह से हुआ है लीला", वर्मा जी अपनी सैक्रेटरी पर झल्ला पड़े।

"सर, मैंने क्या किया। मैं तो सदैव वही करती रही  हूं, जो आप कहते रहे हो"।

"पर इस बार नहीं किया ना,मैंने तुम्हें शनिवार को सी एम डी के बंगले पर जाने को कहा था"।

"सर, मैंने सुना था कि नया सी एम डी बहुत खड़ूस है।मैं डर गयी थी।पर आपने मेरी जगह दूसरी लड़की भेज दी थी ना"।

"भेजी थी, पर उसने सब पोल खोल दी । उसे सी एम डी ने भगा दिया। मुझे फोन पर सी एम डी ने कहा,"मि० वर्मा, मैं वह सीढ़ी देखना चाहता था, जिसका इस्तैमाल करके आप एक मामूली सुपरवाइजर से जी एम बने। बाज़ारू लड़की तो मैं खुद भी मंगा सकता हूँ।"।

"अब क्या होगा सर"।

"अब कर्म फल भोगने के लिये तैयार रहो।जैसे सीढ़ियों का उपयोग उन्नति देता है , वैसे ही इनका दुरुपयोग पतन की ओर भी ले जा सकता है"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 645

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on February 8, 2017 at 8:39pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।आप इस तरह मुझे शर्मिंदा न करें।हमारे आपके बीच जो प्यार का रिश्ता है, उसमें ये बातें कोई मायने नहीं रखती हैं कि आप मुझे किस संबोधन से बुलाते हैं।सादर।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 7, 2017 at 8:47pm

मुहतरम जनाब समर कबीर साहिबआदाब , कॉमेंट पोस्ट करने के बाद ध्यान गया कि कुछ
ग़लती हो गयी , फ़ौरन ही मैं ने उसे डी लिट कर दिया , कभी कभी अंजान ग़लती भी
कितनी अच्छी हो जाती है , " शेख " का मतलब मुर्शिद और पेश्वा भी होता है , मुहतरम
तेज वीर साहिब मेरे लिए बहुत आदरणीय हैं , अगर ग़लती है तो माफी चाहता हूँ -- शुक्रिया ---

Comment by TEJ VEER SINGH on February 7, 2017 at 12:55pm

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी।आप लघुकथा के मूल भाव को समझ पाये, और उसका समुचित विश्लेषण किया ।पुनः आभार।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2017 at 8:59pm

आज कल ये सीढियां माहौल खराब कर रही हैं जिनमे योग्यता व् स्वाभिमान नही है वही इनका इस्तेमाल करता है और फिर पतन के गर्त में भी जल्दी ही गिरता  है ऐसी व्यवस्था पर कटाक्ष करती बेहतरीन लघु कथा बहुत बहुत बधाई आद० तेजवीर सिंह जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on February 6, 2017 at 8:17pm

हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी।आपका लघुकथा पर आना ही एक सुखद अनुभूति है।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 6, 2017 at 6:39pm

आदरणीय तेजवीर सिंह जी, क्या पंचलाइन //जैसे सीढ़ियों का उपयोग उन्नति देता है , वैसे ही इनका दुरुपयोग पतन की ओर भी ले जा सकता है"।// लघुकथा के साथ फिट बैठ गयी है? मैं इस लघुकथा से ख़ुद को जोड़ नहीं पा रहा हूँ. बहरहाल इस प्रस्तुति हेतु बधाई. सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on February 6, 2017 at 11:54am

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।यह प्यार सदैव ऐसे ही बना रहना चाहिये। आदाब।

Comment by Samar kabeer on February 5, 2017 at 10:15pm
जी,इसमें तो कोई शक नहीं,सभी आपसे प्यार करते हैं ।
Comment by TEJ VEER SINGH on February 5, 2017 at 10:14pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी। आदरणीय तस्दीक अहमद साहब,आप मुझे प्यार से कुछ भी बुलायें, मुझे अच्छा लगेगा।आपके दिल में मेरे लिये बहुत प्यार है।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 5, 2017 at 10:11pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।आपकी शुभ कामनाओं का सदैव इंतज़ार रहता है।समर क़बीर साहब, मुझे किसी के कुछ भी संबोधन से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता बशर्ते उसमें प्यार शामिल हो। आदरणीय तस्दीक अहमद साहब मुझे प्यार से कुछ भी बुलायें, मुझे अच्छा लगेगा।उनके दिल में मेरे लिये बहुत प्यार है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service