For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आया मधुमास (अति बरवै पर आधारित गीत)

सजनी ने साजन को, खींच लिया पास |

अमराई फूल गई, आया मधुमास ||

  

धूप खिली निखरी-सी, आयी मुस्कान |

बागों में छेड़ दिया, भँवरों ने तान ||

कलियों के मन जागी, खिलने की आस......... 

खिड़की से झाँक रही, जिद्दी है धूप |

रंग बिना लाल हुआ, गोरी का रूप  ||

सखियों की सुधियों में, कौंधा परिहास........... 

 

डाली है अल्हड पर , फिरभी है भान |

बौराए महुए के , खींच रही कान ||

महक रहे वन-कानन, महका आवास......... 

 

धरती के आँचल में, सरसों के फूल |

विरहन के नैनों में , चुभते हैं  शूल ||

डोल रहा डोल रहा, पल-पल विश्वास.......... 

 

मौलिक/अप्रकाशित.

Views: 888

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by RAMESH SHARMA on April 10, 2017 at 4:45pm

वाह आदरणीय मधुमास  पर क्या खूब सूरत दोहे रचे हैं 

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 8, 2017 at 2:10pm

आदरणीय सुरेश कुमार जी सादर आपकी मन मुग्ध करती प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार. सादर नमन.

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 8, 2017 at 2:10pm

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम,आपके सहयोग के लिए अतिशय आभार. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 8, 2017 at 8:12am

सादर धन्यवाद, आदरणीय अशोक भाई जी

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on February 7, 2017 at 8:25pm
आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जजी सादर नमन! बधाई!बधाई!बधाई!हार्दिक बधाई!दिल को छू गया यह सुंदर गीत!
Comment by Ashok Kumar Raktale on February 6, 2017 at 10:10pm

जी ! आदरणीय सौरभ जी  सादर, आपके सुझावों से सचमुच गीत में निखार आया है ,मैं आपके सुझावों को अपनी रचना में लागू करता हूँ. सादर आभार.

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 6, 2017 at 10:07pm

गीत को पसंद कर उत्साहवर्धन करने के लिए दिल से आभार आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा जी. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2017 at 9:47pm

आदरणीय अशोक भाई जी, आप इस रचना का संशोधित स्वरूप प्रतिस्थापित करें, यह आपकी सदाशयता होगी. साथ ही, ऐसा हुआ तो वह मेरे लिए भी सम्मान की बात होगी. मिलजुल कर हमने जो प्रयास किये वो गीत को जैसी बुनावट दे रहा है वही किसी रचनाकर्म पर अपेक्षित है.
हार्दिक आभार आदरणीय

Comment by Dr Ashutosh Mishra on February 6, 2017 at 3:19pm

आदरणीय अशोक जी प्रकृति के शानदार चित्रण के साथ विरहनी के वियोग का समायोजन करता शानदार गीत इस गीत के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 6, 2017 at 1:33pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर, आपसे मिली प्रतिक्रिया सचमुच ही मेरे प्रयास को बहुत बल दे रही है. आपने सच ही कहा है आदरणीय सौरभ जी ने सम्प्रेषणीयता की कमी को देखते हुए जो संशोधन सुझाए हैं वह गीत में जान डाल दे रहे हैं. आपके साथ-साथ ही पुनः आदरणीय सौरभ जी का भी आभार व्यक्त करता हूँ. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"2122 1212 22 बात करते नहीं हुआ क्या है हमसे बोलो हुई ख़ता क्या है 1 मूसलाधार आज बारिश है बादलों से…"
11 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"खुद को चाहा तो जग बुरा क्या है ये बुरा है  तो  फिर  भला क्या है।१। * इस सियासत को…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ग़ज़ल~2122 1212 22/112 इस तकल्लुफ़ में अब रखा क्या है हाल-ए-दिल कह दे सोचता क्या है ये झिझक कैसी ये…"
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"स्वागतम"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service