For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बाप बेटे में कुछ फ़ासला रह गया

212 212 212 212

बाप बेटे में कुछ फासला रह गया ।
हौसला सब धरा का धरा रह गया ।।

लोग हैरान हैं कुछ परेशान भी ।
हुक्मरां क्यों ठगा का ठगा रह गया ।।

क़त्ल रिश्तों के देखे गए आज फिर ।
कुछ मुनाफे का बस माजरा रह गया ।।

कुर्सियो पर रही उसकी पैनी नज़र ।
वह मिशन मानकर बस लगा रह गया ।।

थे करम कुछ बुरे जो नतीजे मिले ।
खून था जो तेरा गैर का रह गया ।।

क्या उमीदें रखे यह रियासत यहाँ ।
घर में अपने वही बेवफा रह गया ।।

हर हक़ीक़त रिहा हो गई क़ैद से ।
और पर्दा गिरा का गिरा रह गया ।।

राम भक्तों पे गोली चली शान से ।
पाप था कुछ लिखा तो लिखा रह गया।।

है कहानी अमर कुछ अमर की वजह ।
इश्क़ में सर झुका तो झुका रह गया ।।

आह जिन्दा बदायूं से मथुरा तलक ।
जख़्म अब भी हरा का हरा रह गया ।।

मौन सूबा रहा हर तरक्की लुटी ।
क्यों वजीरों का रुतबा बना रह गया ।।

छोड़िये कुर्सियां जश्न हो मुल्क में ।
दाग़ दामन पे बेशक़ लगा रह गया ।।

मौत मुमकिन थी तेरी इसी जख़्म से ।
इस बुढ़ापे में सब देखना रह गया ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 689

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 17, 2017 at 10:57pm

आद० नवीन मणि त्रिपाठी जी ,बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है शेर दर शेर दिल से दाद हाजिर है |

Comment by Naveen Mani Tripathi on January 3, 2017 at 11:23pm
आ0 Dr Ashutosh Mishra जी सादर आभार
Comment by Dr Ashutosh Mishra on January 3, 2017 at 11:16pm
आदरणीय नबीन जी सुन्दर ग़ज़ल हुयी है
Comment by Naveen Mani Tripathi on January 3, 2017 at 9:02pm
आ0 जयनित कुमार मेहता साहब सादर आभार
Comment by जयनित कुमार मेहता on January 3, 2017 at 8:50pm
आदरणीय नवीन जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।
Comment by Naveen Mani Tripathi on January 3, 2017 at 2:06pm
आ0सुरेन्द्र सिंह कुश क्षत्रप साहब तहे दिल से शुक्रिया ।
Comment by नाथ सोनांचली on January 3, 2017 at 12:40pm
आद 0 नवीं मनी त्रिपाठी जी सादर अभिवादन, उम्दा गजल पर दाद हाजिर है, मुबारकबाद कबूल फरमाएं
Comment by Naveen Mani Tripathi on January 3, 2017 at 11:39am
आ0 Vijay Nikore साहब सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on January 3, 2017 at 11:38am
आ0 गिरिराज भंडारी सर सादर नमन के साथ आभार।
Comment by vijay nikore on January 3, 2017 at 11:12am

 गज़ल अच्छी बनी है। हार्दिक बधाई, आदरणीय नवीन जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service