For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ेलुन फ़ा

दौर-ए-जवानी के हमको रंगीन ज़माने याद आये
महफ़िल में यारों से वो साग़र टकराने याद आये

तन्हाई में भूले बिसरे सब अफ़साने याद आये
जिनमें ग़म की रातें गुज़रीं, वो मैख़ाने याद आये

दिल मुट्ठी में लेकर कोई भींच रहा यूँ लगता था
ग़म की काली रातों में जब ख़्वाब सुहाने याद आये

इक मुद्दत के बाद ख़ुशी ने दरवाज़े पर दस्तक दी
दिल घबराया और मुझे कुछ यार पुराने याद आये

सब कुछ खोकर बर्बादी के सहरा में जब जागे हम
अपनों की साज़िश के सारे ताने बाने याद आये

हमने देखा हर शाइर के होटों पर ये मिसरा था
"तुम याद आये और तुम्हारे साथ ज़माने याद आये"

--समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1208

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 18, 2017 at 1:22pm

सब कुछ खोकर बर्बादी के सहरा में जब जागे हम
अपनों की साज़िश के सारे ताने बाने याद आये---वाःह्ह्ह्ह वाह्ह्ह कमाल का शेर 

आद० समर भाई जी ,शानदार ग़ज़ल कही है बहुत खूब शेर दर शेर दाद कुबूलें 

Comment by Samar kabeer on January 17, 2017 at 4:08pm
जनाब राम आश्रय जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on January 17, 2017 at 4:07pm
जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,ग़ज़ल आपको पसंद आई लिखना सर्थक हुआ,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Ram Ashery on January 17, 2017 at 3:56pm

आपको बहुत बहुत बधाई इस खूब सूरत गजल के लिए 

Comment by रामबली गुप्ता on January 15, 2017 at 9:35pm
वाह वाह आद0 समर भाई साहब क्या कमाल की ग़ज़ल कही हर शेर ने दिल की गहराइयों को छुआ और इस शेर ने तो पूरे अंतर्मन को झकझोर दिया-
दिल मुट्ठी में लेकर कोई भींच रहा यूँ लगता था
गम की काली रातों में जब ख़्वाब सुहाने याद आये।
वाह वाह भाई साहब आकाश भर बधाई स्वीकारें।
Comment by Samar kabeer on January 7, 2017 at 2:34pm
जनाब विजय निकोर जी आदाब,ग़ज़ल पर आपकी शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by vijay nikore on January 7, 2017 at 11:34am

भाई समर कबीर जी, बहुत ही लाजवाब असरदार गज़ल लिखी है आपने।

किस-किस शेर को दाद दूँ .... 

// इक मुद्दत के बाद ख़ुशी ने दरवाज़े पर दस्तक दी
दिल घबराया और मुझे कुछ यार पुराने याद आये //

वाह, इतने खूबसूरत ख्याल ! 

ऐसी ज़ोरदार गज़ल साझा करने के लिए धन्यवाद।

Comment by Samar kabeer on January 6, 2017 at 9:49pm
जनाब सतविन्दर कुमार जी आदाब,सुख़न नवाज़ी का बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 6, 2017 at 4:47pm
आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमन!इस बेहतरीन गजल के लिए बहुत बहुत बधाई।
Comment by Samar kabeer on December 29, 2016 at 11:19pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
yesterday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Wednesday
Chetan Prakash commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"आदाब,  समर कबीर साहब ! ओ.बी.ओ की सालगिरह पर , आपकी ग़ज़ल-प्रस्तुति, आदरणीय ,  मंच के…"
Apr 10
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post कैसे खैर मनाएँ
"आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, प्रस्तूत रचना पर उत्साहवर्धन के लिये आपका बहुत-बहुत आभार। सादर "
Apr 9

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service