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हल निकालने के बेढब तरीके

अपने देश
भारत में .......

जूते पहनने वाले
नंगे पैरों का दर्द सुनाते है ॥

अंगूठा छाप मंत्री
शिक्छा का अलख जागते है ॥

जिनके नौ - दस बच्चे है
परिवार नियोजन का पाठ पढ़ते है ॥

जिन्होनें जंगल साफ़ कर दिए
वही वृक्छारोपन कार्य चलाते है ॥

दिखाते है जो कानून को ठेंगा
वही नया कानून बनाते है ॥

जो पैसे लेते ,चोर से खुद
फिर कैसे चोर पकड़ ले आते है ॥

ऐ ० सी० में रहने वाले
गर्मी की कथा सुनाते है ॥

मेरी समझ में तो नहीं आया
जग की उलटी रित
शायद ,समझ में आ जाएगा
जब कर लुगा उनसे प्रीत ॥

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मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2010 at 8:22pm
अंगूठा छाप मंत्री
शिक्षा की अलख जगाते है ,

A.C. में रहने वाले
गर्मी की कथा सुनाते है ,

बढ़िया लिखे है बब्बन भाई, यह दुनिया उलट फेर से अटा पड़ा है, सुंदर रचना है , बधाई हो,
Comment by satish mapatpuri on June 28, 2010 at 1:16pm
जो पैसे लेते ,चोर से खुद
फिर कैसे चोर पकड़ ले आते है ॥

ऐ ० सी० में रहने वाले
गर्मी की कथा सुनाते है ॥
यथार्थ कहा है आपने बब्बन भाई, बेबाक चित्रण के लिए बधाई.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 28, 2010 at 12:47pm
विरोधाभासों का सटीक चित्रण किया है आज के सन्दर्भ में आपने बबन भाई ! कई जगह भाषा और व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियाँ हैं जिनको मैंने दुरुस्त करने की कोशिश की है ! अगर अपनी रचना में भी आप इनको ठीक कर लें तो बहुत अच्छा रहेगा !

//अंगूठा छाप मंत्री
शिक्छा का अलख जागते है ॥// को
//अंगूठा छाप मंत्री
शिक्षा की अलख जागते है ॥// कर लीजिए !

//जिन्होनें जंगल साफ़ कर दिए
वही वृक्छारोपन कार्य चलाते है ॥// को
//जिन्होनें जंगल साफ़ कर दिए
वही वृक्षारोपण कार्य चलाते है ॥// कर लीजिए !

//मेरी समझ में तो नहीं आया
जग की उलटी रित// को
//मेरी समझ में तो नहीं आई
जग की उलटी रीत// कर लीजिए !
//शायद ,समझ में आ जाएगा
जब कर लुगा उनसे प्रीत ॥// को
//शायद ,समझ में आ जाएगा
जब कर लूँगा उनसे प्रीत ॥// कर लीजिए !

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