For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हल निकालने के बेढब तरीके

अपने देश
भारत में .......

जूते पहनने वाले
नंगे पैरों का दर्द सुनाते है ॥

अंगूठा छाप मंत्री
शिक्छा का अलख जागते है ॥

जिनके नौ - दस बच्चे है
परिवार नियोजन का पाठ पढ़ते है ॥

जिन्होनें जंगल साफ़ कर दिए
वही वृक्छारोपन कार्य चलाते है ॥

दिखाते है जो कानून को ठेंगा
वही नया कानून बनाते है ॥

जो पैसे लेते ,चोर से खुद
फिर कैसे चोर पकड़ ले आते है ॥

ऐ ० सी० में रहने वाले
गर्मी की कथा सुनाते है ॥

मेरी समझ में तो नहीं आया
जग की उलटी रित
शायद ,समझ में आ जाएगा
जब कर लुगा उनसे प्रीत ॥

Views: 335

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 6, 2010 at 8:22pm
अंगूठा छाप मंत्री
शिक्षा की अलख जगाते है ,

A.C. में रहने वाले
गर्मी की कथा सुनाते है ,

बढ़िया लिखे है बब्बन भाई, यह दुनिया उलट फेर से अटा पड़ा है, सुंदर रचना है , बधाई हो,
Comment by satish mapatpuri on June 28, 2010 at 1:16pm
जो पैसे लेते ,चोर से खुद
फिर कैसे चोर पकड़ ले आते है ॥

ऐ ० सी० में रहने वाले
गर्मी की कथा सुनाते है ॥
यथार्थ कहा है आपने बब्बन भाई, बेबाक चित्रण के लिए बधाई.

प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 28, 2010 at 12:47pm
विरोधाभासों का सटीक चित्रण किया है आज के सन्दर्भ में आपने बबन भाई ! कई जगह भाषा और व्याकरण सम्बन्धी त्रुटियाँ हैं जिनको मैंने दुरुस्त करने की कोशिश की है ! अगर अपनी रचना में भी आप इनको ठीक कर लें तो बहुत अच्छा रहेगा !

//अंगूठा छाप मंत्री
शिक्छा का अलख जागते है ॥// को
//अंगूठा छाप मंत्री
शिक्षा की अलख जागते है ॥// कर लीजिए !

//जिन्होनें जंगल साफ़ कर दिए
वही वृक्छारोपन कार्य चलाते है ॥// को
//जिन्होनें जंगल साफ़ कर दिए
वही वृक्षारोपण कार्य चलाते है ॥// कर लीजिए !

//मेरी समझ में तो नहीं आया
जग की उलटी रित// को
//मेरी समझ में तो नहीं आई
जग की उलटी रीत// कर लीजिए !
//शायद ,समझ में आ जाएगा
जब कर लुगा उनसे प्रीत ॥// को
//शायद ,समझ में आ जाएगा
जब कर लूँगा उनसे प्रीत ॥// कर लीजिए !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
yesterday
Yatharth Vishnu updated their profile
yesterday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Friday
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Nov 7
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
Nov 6
Samar kabeer commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले के सानी में…"
Nov 6
रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
Nov 4
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Nov 2
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Nov 1
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Oct 31

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service