For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मेरी दादी [गीत ] प्रतिभा पांडे

ऊन सलाई संग दादी का

बहुत पुराना था याराना

चपल उँगलियों का दादी की  

जाड़े ने भी लोहा माना

 

छत पर जब दादी को पाती

धूप गुनगुनी  मिलने आती

ख़ास सहेली बन दादी की  

वो भी फंदों से बतियाती

 

सीधे पर दो उल्टे फंदे

बुनता जाता ताना बाना

 

कल जो था बाबा का स्वेटर

अब छोटू का टोपा मफलर

नई पुरानी ऊनों के संग

चपल उँगलियाँ चलतीं सर सर

 

इस रिश्ते से उस रिश्ते तक

गर्माहट का आना जाना

 

सीधी चाची ,टेढ़ी ताई

पढ़ी लिखी मँझली भौजाई

बिखर नहीं पाता था कोई

रहते सब बंध एक सलाई

 

थी भोली वो अनपढ़ दादी

हर दिन जिसने उत्सव माना

 

 

 मौलिक व अप्रकाशित

Views: 685

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 21, 2016 at 5:02pm

आदरनीया , ऊन के ताने बाने के सातह रिश्ते को जीता आपका गीत , बहुत सुन्दर लगा , हार्दिक बधाई ।

Comment by Mahendra Kumar on December 21, 2016 at 11:26am
बहुत ही भावपूर्ण गीत है आदरणीया प्रतिभा जी। बहुत-बहुत बधाई। सादर।
Comment by pratibha pande on December 21, 2016 at 11:17am

आदरणीय मिथिलेश जी आपको गीत का ये प्रयास प्रभावित कर पाया ..रचना कर्म सफल हुआ   आपका हार्दिक आभार 

Comment by pratibha pande on December 21, 2016 at 11:13am

हार्दिक आभार आदरणीय श्याम नारायण जी 

Comment by pratibha pande on December 21, 2016 at 11:12am

आदरणीय समर कबीर जी , प्रयास पर आपकी उपस्थिति और अनुमोदन से रचना कर्म सफल हुआ आपका हार्दिक आभार ...सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 20, 2016 at 11:59pm

आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियाँ कभी-कभी चकित कर देती हैं और मुग्ध होकर वाह निकल जाती है.  दादी पर लिखा यह गीत उसी श्रेणी का है. एक शानदार गीत. ऐसे गीत कभी कभी बन जाते है. यकीन मानिए यह गीत आपने प्रतिनिधि गीतों में से एक होगा. इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकारें. सादर 

 

Comment by Shyam Narain Verma on December 19, 2016 at 4:50pm
क्या बात है . हार्दिक बधाई ।
Comment by Samar kabeer on December 18, 2016 at 5:19pm
मोहतरमा प्रतिभा पाण्डेय जी आदाब,दादी की याद दिलाता बहुत सुंदर भावपूर्ण गीत लिखा है आपने जो मौसम के अनुकूल भी है, इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
1 hour ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
17 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service