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पूंजियों की सीरतें भी काली गोरी देखिये(ग़ज़ल 'राज '

2122  2122  2122  212

कर की चोरी देखिये जी धन की चोरी देखिये

लूटकर पकड़े गये तो जब्रजोरी देखिये

 

नोट्बंदी देखिये जी नोट खोरी देखिये

पूंजियों की सीरतें  भी काली गोरी देखिये

 

नोट्बंदी का हथौड़ा ऐसा बैठा पीठ पर

भ्रष्टता की सरबसर टूटी तिजोरी देखिये

 

बह रहे हैं नोट सारे वो पुराने हर जगह

क्या समन्दर क्या नदी तालाब मोरी देखिये

 

लूटखोरी की बदौलत खत्म पैसे बैंक में

 लाइनों की टूटती अब आस डोरी देखिये 

 

कुछ जुगाडू  भेड़िये बैठे वतन में अबतलक

पास उनके अब नई नोटों की बोरी देखिये

 

कह रहे अखबार टीवी कह रही सरकार है

आने वाले वक़्त में तस्वीर कोरी देखिये

----------मौलिक एवं अप्रकाशित 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2016 at 10:34am

बहुत बहुत शुक्रिया अमिता तिवारी जी .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 17, 2016 at 10:33am

आद० डॉ० आशुतोष मिश्रा जी ,आपको ये प्रस्तुति अच्छी लगी दिल से आभार आपका बहुत बहुत शुक्रिया  

Comment by amita tiwari on December 17, 2016 at 12:20am

वाह राजेश जी 

क्या बात कह दी 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 17, 2016 at 12:05am
आदरणीया राज जी कमाल की रचना के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2016 at 5:09pm

आद० तेजवीर सिंह जी ,आपका तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2016 at 5:09pm

आद० सुरेन्द्र नाथ जी,आपकी उत्साहित करती हुई प्रतिक्रिया हेतु आपके गज़ल पर अनुमोदन हेतु दिल से बहुत बहुत आभार | 

Comment by TEJ VEER SINGH on December 15, 2016 at 12:29pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी।बहुत उम्दा गज़ल।

Comment by नाथ सोनांचली on December 15, 2016 at 3:01am
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन, समसामयिक और नोट बंदी के पृष्ठभूमि में एक क्या खूब गजल कही आपने, आपको लेखन को नमन, आपकी इस बेहतरीन गजल पर मेरी दाद के साथ बधाई निवेदित है।
Comment by Ravi Shukla on December 14, 2016 at 1:32pm

आभार आपका आदरण्‍ीया राजेश दीदी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 14, 2016 at 10:50am

आद० रवि शुक्ल भैया ,ग़ज़ल पर आपकी दाद व् इस्स्लाह दोनों का हार्दिक स्वागत है बहुत बहुत शुक्रिया |वैसे नई मैंने बोरी के लिए लिखा था किन्तु आपकी बात सही है संज्ञा से एक दम पहले विशेषण उसी के अनुसार होना चाहिए कई बार दैनिक बोलचाल की आदत के अनुसार हम व्याकरण से अनजाने में खिलवाड़ कर बैठते हैं जो नहीं करना चाहिए |नये नोटों की बोरी सही है इसे बाद में दुरुस्त कर लूँगी |

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