For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुद्रा के तज़ुर्बे (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

कालाधन भ्रष्टाचार की नोटबंदी रूपी दीवार की आड़ लिए हुए सफ़ेद धन की गुलाबी मुद्रा को शर्माते-मुस्कराते देख कर बोला- "तुम्हें आना ही होगा एक दिन मेरे ही पास!"
"अभी या रात के अँधेरे में!"
"जब मौक़ा मिले तभी; मैं तुम में या तुम मुझ में समा जाओगी!"
"लोकतंत्र के इस बुढ़ापे में भी!" उसने शरारती अंदाज़ में कहा।
"हाँ, काले को सफ़ेद और सफ़ेद को काले में बदलने के तज़ुर्बे का यही तक़ाज़ा है!" कालेधन ने आत्मविश्वास के साथ कहा।
उसने कालेधन का हाथ थामा और स्वयं के वजूद को भूल सी गई।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 504

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 10, 2016 at 9:37pm
इस रचना का अनुमोदन करने व अन्य लघुकथायें लिखते रहने की प्रेरणा देने के लिए सभी सुधीजन, सम्मानित पाठकगण को हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 26, 2016 at 4:33pm
शंका-कुशंका पर ही सारा बबाल मचा हुआ है।. मेरी लघुकथा के अनुमोदन व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया ।मोहतरम जनाब गिरिराज भंडारी साहब।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 22, 2016 at 11:02am

वर्तमान पर एक जायज़ शंका पर आधारित आपनी लघुकथा अच्छी लगी , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 21, 2016 at 4:56pm
रचना पर उपस्थित हो कर अपने विचार साझा करने व अनुमोदन और स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया मोहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब, मोहतरमा राजेश कुमारी साहिबा व सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2016 at 1:38pm

कैसे विश्वास हो किसी को यही तो होता आया है आज तक भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी आसानी से नहीं उखड़ सकती  प्रतीकों के माध्यम से बहुत सुन्दर सामयिक लघु कथा इस संशय  को और बल देती है बहुत खूब बहुत बहुत बधाई आद० उस्मानी जी 

Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2016 at 6:09am
मेरी दिली बधाई स्वीकार करें।
Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2016 at 6:06am
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी साहब, सादर अभिवादन, समसामयिक नोट बंदी पर उत्तम लघुकथा देखने को मिली।।।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on November 20, 2016 at 9:53pm

मुहतरम  जनाब   शहज़ाद उस्मानी साहिब , काले धन और नई मुद्रा का संगम कराती सुन्दर लघु कथा के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं   ---

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service