For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल....ऐ मुहब्बत मैं तेरा सजदा करूँ

बहरे रमल मुसद्दस् महज़ूफ़
फाइलातुन फाइलातुन फाइलुन
2122 2122 212
ऐ मुहब्बत मैं तेरा सजदा करूँ
रुख बदलती ज़िन्दगी है क्या करूँ

मोड़ पे रुकना पलट कर देखना
हाय उनकी सादगी का क्या करूँ

कुछ घड़ी बैठो हमारे रूबरू
भूल कर जग को तुम्हें देखा करूँ

थरथराती धड़कनों को थाम लो
दर्द को रख ताक पर जलसा करूँ

दूरियाँ हों लाख पर मुमकिन नहीं
नाम लूँ उनका उन्हें रुसवा करूँ

(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार'ब्रज'

Views: 597

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 25, 2016 at 11:26pm
आपके आशीर्वाद से सृजन सार्थक हुआ आदरणीय गिरिराज भंडारी जी...हार्दिक आभार
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 25, 2016 at 11:25pm
रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार आदरणीय रामबली गुप्ता जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 25, 2016 at 10:07am

आदरनीय बृजेश भाई , बहुत अच्छी गज़ल हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by रामबली गुप्ता on October 25, 2016 at 1:44am
वाह सुंदर ग़ज़ल हुई है। दिल से मुबारकबाद लीजिये।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 23, 2016 at 10:36pm
हौसलाफ़ज़ाई का तहेदिल से शुक्रिया ज़नाब tasdiq ahmed khan साहब
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 23, 2016 at 7:43pm

 जनाब ब्रजेश कुमार     साहिब,  बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुई है दाद के साथ  मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं --

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 23, 2016 at 3:17pm
रचना पटल पे आपकी गरिमामई उपस्थिति वंदनीय है आदरणीय समर साहब..आभार संग नमन
Comment by Samar kabeer on October 23, 2016 at 3:12pm
जनाब बृजेश कुमार'ब्रज'साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
10 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service