For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बहरे हज़ज़ मुसम्मन मक्बुज.....

मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन  मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन 
1212      1212       1212      1212
सरे निगाह शाम से ये क्या नया ठहर गया 

​​कदम बढ़ा सके न थे कि हादसा गुजर गया

ये कौन सीं हैं मंजिलें ये क्या गज़ब है आरजू 
जिसे सँभाल कर रखा वही समा बिखर गया

अभी है वक़्त बेवफा अभी हवा भी तेज है 
अभी यहीं जो साथ था वो हमनवा किधर गया

ये वादियाँ ये बस्तियाँ ये महफ़िलें ये रहगुजर 
हज़ार गम गले पड़े जहाँ जहाँ जिधर गया

समेट कर ये हौंसले मक़ाम को निकल पड़ो 
जो थक गया बहक गया वो लौट अपने घर गया

  
खुदा की नेंमतें मिलीं तो ज़िन्दगी सँवार 'ब्रज'
अगर न उसके दर गया जहाँ से दर बदर गया 

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

बृजेश कुमार 'ब्रज'
 

Views: 736

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 23, 2016 at 11:33am
रचना पटल पे आपकी गरिमामई उपस्थिति उत्साहवर्धक है आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी
Comment by नाथ सोनांचली on October 17, 2016 at 2:33pm
आदरणीय बृजेश कुमार ब्रज जी सादर अभिवादन! आपकी खुबसूरत गजल के लिए मेरी कोटिश बधाई कबूल फरमाएं
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 16, 2016 at 3:30pm

आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार आदरणीय  सुरेश कुमार 'कल्याण' जी

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 16, 2016 at 3:28pm

रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार आदरणिया सुचिसंदीप अग्रवालl जी 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 15, 2016 at 8:30pm
आदरणीय ब्रजेश जी खूबसूरत गजल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by शुचिता अग्रवाल "शुचिसंदीप" on October 15, 2016 at 1:32pm
ब्रजेश भाई बहुत ही शानदार रचना हेतु बधाई।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on October 13, 2016 at 10:21pm

आदरणीय  Samar kabeer साहब आपकी द्वारा की गई हौसलफजाई से अत्यधिक संबल मिलता है....आपका हार्दिक अभिनंदन एवं आभार...ये मेरी इस मापनी पे पहली सफल कोशिश है....

Comment by Samar kabeer on October 13, 2016 at 2:49pm
जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज'साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
6 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Saturday
PHOOL SINGH added a discussion to the group धार्मिक साहित्य
Thumbnail

महर्षि वाल्मीकि

महर्षि वाल्मीकिमहर्षि वाल्मीकि का जन्ममहर्षि वाल्मीकि के जन्म के बारे में बहुत भ्रांतियाँ मिलती है…See More
Apr 10
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी

२१२२ २१२२ग़मज़दा आँखों का पानीबोलता है बे-ज़बानीमार ही डालेगी हमकोआज उनकी सरगिरानीआपकी हर बात…See More
Apr 10

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service