For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सकल दुख तरल रूप में आज वर्षित---ग़ज़ल, पंकज मिश्र

122 122 122 122
घनीभूत पीड़ा मनस व्योम क्षोभित
सकल दुख तरल रूप में आज वर्षित

अभीप्सा सुमन पर है मूर्च्छन प्रभावी
है निर्जीव सा तन हृदय ताल बाधित

कहाँ चाँदनी से क्षितिज था चमकना
कहाँ दामिनी ने किया पूर्ण भस्मित

पुनः लेखनी आज मानी न आज्ञा
गजल में किया है तुम्हें फिर सुशोभित

सजल चक्षुओं में कहाँ नींद होगी
निशा एक फिर से हुई तुझको अर्पित

न उद्देश्य किंचित भी चर्चा का लेकिन
तेरे नाम का मन्त्र बांचे पुरोहित

अमिय प्रीत की कामना थी अमित पर
गरल स्वार्थ का दान पंकज को प्रेषित

मौलिक अप्रकाशित

Views: 938

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on October 10, 2016 at 3:56am
सभी शैर अच्छे हुए हैं भाई पंकज मिश्र जी हिंदी शब्दों का संयोजन भी अच्छा हुआ है।इसके लिए दिल से बधाई लीजिये। संस्कृतनिष्ठ शब्दों के बीच चांदनी शब्द कुछ कम जंच रहा है इसके स्थान पर समान मात्रा भार के 'चंद्रिका' शब्द को प्रयुक्त कर सकते हैं।
पुनः आज्ञा लेखनी ने न मानी। .........इस पंक्ति में वह्र भंग प्रतीत हो रहा है 'पुनः' में आपने मात्रा भार क्या लिया है?

बाकी सब शुभ शुभ
Comment by Samar kabeer on October 8, 2016 at 5:13pm
अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 8, 2016 at 3:34pm
आदरणीय पंकज जी खूबसूरत सी रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by Sushil Sarna on October 8, 2016 at 12:32pm

सजल चक्षुओं में कहाँ नींद होगी
निशा एक फिर से हुई तुझको अर्पित

अति अति सुंदर ... भावों का शब्द अलंकरण किसी भी हृदय को आनंदित कर सकता है ... इस अप्रतिम ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय पंकज जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service