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भारत माता पूछ रही है (ताटंक छन्द )

कब तक सहन करूँ माथे पर, जुल्म सितम गद्दारों के।
भारत माता पूछ रही है, प्रश्न ओहदेदारों से।

लाँघी सीमा मानवता की, फिर से आग लगाई है ।
सोते वीरों पर जो गोली, तुमने आज चलाई है ।
फिर से मस्तक लाल हुआ है, कायर भीर प्रहारों से।
भारत माता पूछ----------।

हमला हुआ था संसद पर, मेरी आत्मा रोई थी ।
पठानकोट याद है सबको, कितनी जानें खोई थी।
कब तक रक्त बहेगा यूंही, राजनीतिक इशारों से।
भारत माता पूछ--------------।

उसके दिल पे क्या बीती है, माँ ने बेटा खोया है।
नन्ही बच्ची को खबर नहीं, पिता मरा या सोया है।
हुआ कलेजा छलनी आज, माँओं की चित्कारों से।
भारत माता पूछ-------------।

ऐटम बम की गीदड़ भभकी, बार-बार दुहराते हो।
सोते पर तुम हमला करके, कायरता दिखलाते हो।
आज पाप का घड़ा भर चुका, पूछो चाँद सितारों से।
भारत माता पूछ-------------।

एक समय था सारे राजा, आगे होकर लड़ते थे।
हार जीत तब निश्चित होती, राजा रण में मरते थे।
मरते केवल फौजी हैं अब, राजा मरे विचारों से।
भारत माता पूछ---------------।

इतनी जानें जाने पर भी, काहे नहीं लजाते हो।
प्रत्यारोपों का तुम मौका, कोई नहीं गवाँते हो।
बेटे अपने भेजो रण में, जलो स्वयं अंगारों से।
भारत माता पूछ------------------।

कब तक सहन करूँ माथे पर, जुल्म सितम गद्दारों के ।
भारत माता पूछ रही है, प्रश्न ओहदेदारों से ।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 24, 2016 at 11:32am
आदरणीय सतविंदर भाई रचना को समय व सम्मान देने के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 24, 2016 at 7:22am
आदरणीय सुरेश भाई जी ओज से लबरेज उत्तम छन्दगीत के लिए बारम्बार बधाई।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 23, 2016 at 7:25am
आदरणीय श्री रामबली गुप्ता जी रचना को सम्मान देने के लिए हार्दिक आभार । सादर
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 23, 2016 at 7:25am
आदरणीय श्री सौरभ पांडेय जी रचना अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by रामबली गुप्ता on September 23, 2016 at 6:39am
क्या बात है आद0 भाई सुरेश जी। आनन्द आया पढ़कर। रक्त का प्रवाह तीव्र हो गया। खूब बधाई लीजिये।सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 22, 2016 at 11:37pm

वाह वाह वाह ! 

आपके कहे के शब्द-शब्द में ओज़ है. हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय सुरेश कल्याण जी 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 21, 2016 at 6:39pm
आदरणीय समर कबीर साहब प्रणाम । रचना अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by Samar kabeer on September 21, 2016 at 5:58pm
जनाब सुरेश कुमार 'कल्याण'जी आदाब,हालात-ए-हाज़रा पर बहतरीन छन्द लिखे हैं आपने ,इस भावपूर्ण प्रस्तुति के लिये दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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