For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सर्जिकल स्ट्राइक्स (कविता)

हमने बहुत समझाया
ये समझाने की हद थी,
उस कमबख्त को न
मानने की जिद्द थी,
हर बार हमले के बदले
आम और प्यार भेजा,
लेकिन नापाक ने हर बार
आंतकियों को सीमा पार भेजा,
अब तो हद हो गयी
उरी में सोये जवानों को जलाया,
दुनिया में आंतकी कहलाया,
वीरों ने ठान लिया अब इलाज
जरुरी है ताकि अहसास हो सके,
इसीलिए सर्जिकल स्ट्राइक्स
जरुरी था ताकि दहशत हो सके,
"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 771

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by harikishan ojha on October 6, 2016 at 9:37pm
आदरणीय अशोक कुमार जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद।
Comment by Ashok Kumar Raktale on October 6, 2016 at 4:15pm

आदरणीय हरिकृष्ण ओझा  जी  सादर, देश  के  वीर  सैनिकों  द्वारा की गई  सटीक सामयिक कार्यवाही  पर सुन्दर  रचना हुई  है.  बहुत-बहुत  बधाई. सादर.

Comment by harikishan ojha on October 6, 2016 at 1:08pm
आ. कल्पना जी आप का बहुत बहुत धन्यवादI
Comment by harikishan ojha on October 6, 2016 at 12:42pm
आ. सुरेश कुमार जी आप का बहुत बहुत धन्यवाद हौसला अफजाई के लिएI
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 6, 2016 at 11:03am
सुन्दर रचना आदरणीय हरिकिशन ओझा जी बधाई हो ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 5, 2016 at 7:40pm

अच्छी कविता आदरणीया हरिकिशन ओझा जी बधाई आपको |

Comment by harikishan ojha on October 4, 2016 at 5:07pm
आ. शिज्जु "शकूर" जी आप का बहुत बहुत धन्यवादI

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 3, 2016 at 9:27pm
सामयिक विषय पर अच्छी कविता है आ. हरिकिशन ओझा जी बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
12 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service