For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दर्द दे वो चले पर दवा कौन दे,
साँस थमने लगी अब दुआ कौन दे।

चाहतें दफ़्न सब हो के दिल में रही,
जब जफा ही लिखी तो वफ़ा कौन दे।

प्यास बढ़ती रही आप छिपते रहे,
आग दिल में लगी पर बुझा कौन दे।

मंजिलें दूर जब हमसे जाने लगी,
हाथको थाम के आसरा कौन दे।

आशियाँ तक हमारा गया है उजड़,
याद में जो उसे अब बसा कौन दे।

बासुदेव अग्रवाल 'नमन'
तिनसुकिया

(212 212 212 212 बहर की रचना)

मौलिक व अप्रकाशित

(धुन- कर चले हम फिदा जान-ओ-तन साथियों)

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on October 7, 2016 at 7:10am
आदरणीय कल्पना जी बहुत आभार।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 9:55pm

मंजिलें दूर जब हमसे जाने लगी,
हाथको थाम के आसरा कौन दे।

आशियाँ तक हमारा गया है उजड़,
याद में जो उसे अब बसा कौन दे। बहुत खूब आदरणीय | हार्दिक बधाई

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on September 26, 2016 at 5:13pm
या फिर
"चाहतें दफ़्न सब हो के दिल में रही।"
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on September 26, 2016 at 5:11pm
आ.शिज्जु भाई आपके comment और सुझाव मेरे लिए अमूल्य है। आ.शिज्जु भाई दफ़्न को दफन लिखा ज सकता है क्या जैसे हिन्दी में हम धर्म को अपभ्रंश रूप में धरम लिखते हैं। यदि दफ़्न को दफन करना दोष है तो ग़ज़ल में निम्न सुधार हो जाएगा

"चाहतें सब दबी दिल के अंदर रही"

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 4:05pm

आ. वासुदेव जी अच्छी ग़ज़ल हुई है, काफियाबंदी एकदम दुरूस्त है, नुक्ते को लेकर इससे पहले भी कई दफे चर्चा हुई है, लेकिन यहाँ काफिया में नुक्ते का कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, अलबत्ता आपने दफ्न को दफन के वज्न में बाँधा है ज़रा देख लीजिएगा. आदरणीय गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर मैं ग़ज़ल की कक्षा का विद्यार्थी हूँ आपसे अनुरोध है कि उस्तादों की फेहरिस्त में मेरा नाम न रखें :-(

Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on September 25, 2016 at 7:45pm
आ डॉ साहब वफ़ा में नुक्ते वाली बात मेरी समझ में नहीं आई। वफ़ा को मैं बड़ी आसानी से वफा भी type कर सकता था। नुक्ता यदि अड़चन है तो क्या मैं ग़ज़ल में 'वफा' शब्द इस्तेमाल कर सकता हूँ।
Comment by बासुदेव अग्रवाल 'नमन' on September 25, 2016 at 7:37pm
आ. डॉ साहब आपके comment के लिए बहुत आभारी हूँ। इस विधा में मैं अभी बहुत नया हूँ। यह मेरी दूसरी ग़ज़ल है जो मैंने लिखी थी। मैंने कहीं पढ़ा था कि काफ़िया केवल अंतिम स्वर का भी लिया जा सकता है और इस ग़ज़ल में मैंने 'आ' काफ़िया लिया है जो मतले में दवा और दुआ दो तरह के शब्द देकर मैंने अपनी जान में स्पष्ट भी करने की कोशीश की है। इस तथ्य से में अवगत था।
गुणी जन इस बारे में मेरा कृपया मार्ग दर्शन करें।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 25, 2016 at 7:18pm

आ० वासुदेव जी ----------आपने अच्छी गजल कही . एक बात का मुझे संदेह है क्या दवा, दुआ, वफ़ा, बुझा सही काफिये हैं  क्योंकि दवा में अवा है, दुआ में उआ है , वफ़ा में नुक्ता है  बुझा में भी उझा है . उस्तादों से राय  चाहिए , आ० समर कबीर साहिब , आ०  सौरभ जी ,आ० शिज्जू भाई  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंद  _____ सावन रिमझिम आ गया, सड़कें बनतीं ताल। पैदल लोगों का हुआ, बड़ा बुरा है…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया * पानी-पानी  हो  गया, जब आयी बरसात। सूरज बादल में छिपा, दिवस हुआ है रात।। दिवस…"
16 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"रिमझिम-रिमझिम बारिशें, मधुर हुई सौगात।  टप - टप  बूंदें  आ  गिरी,  बादलों…"
22 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हम सपरिवार बिलासपुर जा रहे है रविवार रात्रि में लौटने की संभावना है।   "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ आओ देखो मेघ को, जिसका ओर न छोर। स्वागत में बरसात के, जलचर करते शोर॥ जलचर…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद *********** हरियाली का ताज धर, कर सोलह सिंगार। यौवन की दहलीज को, करती वर्षा पार। करती…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
Friday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service