For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मंद चलती पवन , शांत रहती अगन,
भोर सा उल्लास प्रभु आठों याम चाहिए,
तप्त धरती गगन , और जलता बदन,
ग्रीष्म प्रभू और नहीं ना ही घाम चाहिए,
आयें घन लिए नीर हरें व्याकुलों कि पीर,
एक वरदान भगवान राम चाहिए,
एक बनें नेक बनें, हिलमिल सब रहें,
वसुधा पे ऐसा प्रभु सुखधाम चाहिए ||


मौलिक/अप्रकाशित.

Views: 706

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on June 5, 2016 at 3:10pm

आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी !  घनाक्षरी के पद  समकल से  प्रारंभ करने का आपका सुझाव उत्तम है. त्रिकल के पश्चात त्रिकल रखकर रचने से मैं समकल वाली चूक को पकड़ नहीं पाया. अवश्य ही मैं इस बात का ध्यान रखूंगा. कथ्य में मेरा प्रयास सूखा पीड़ितों को भी समेटना था, किन्तु आपकी प्रतिक्रिया से सहज समझ आ रहा है उसमें भी सफलता नहीं मिली है.इस पर भी अवश्य ही ध्यान दूंगा. सादर आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 1, 2016 at 10:51am

घनाक्षरी विधा पर आपकी कोई रचना अरसे बाद आयी है, आदरणीय अशोक जी। इस निमित्त आपको हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाइयाँ। 

परन्तु, आपने जिस ढंग से पंक्तियों का विन्यास रखा है, वह नियमों की महीनी के अनरूप नहीं है। यह अपने आप में कोई गलती नहीं है। लेकिन सर्वमान्यता यही है कि घनाक्षरी के पद समकलों से प्रारम्भ हुए तो वाचन प्रवाह सहज ही नहीं पारम्परिक भी होता है। आपका प्रथम दो पंक्तियों का प्रारम्भ त्रिकल से होने से उन शब्दों के उच्चारण के साथ ही या तो प्रवाह रुक जाता है, या उन शब्दों के लघु वर्ण पर बलाघात कम से कम कर आगे के शब्द के समकल की मौज़ूदग़ी का लाभ लेना पड़ता है। पुनः, यह कोई बहुत बड़ी गलती नहीं है लेकिन घनाक्षरी विधा के सही स्वर को जानने वालों के लिए वाचन ढंग को बदलना पड़ता है। आप प्रति पंक्ति का प्रारम्भ समकलों से करें। देखिये, वाचन प्रवाह में गुणात्मक सुधार होगा। 

दूसरी बात, घनाक्षरी छन्द शास्त्र में घोषित मुक्तक हैं। अतः, एक मुक्तक में विषय एक ही रहे तो वह अधिक विधाजन्य माना जाता है। ध्यातव्य है, प्रस्तुत रचना ग्रीष्म की चर्चा से शुरु हो कर जन-जनार्दन की नैतिक ऊँचाई की कामना करनेलगतती है। वर्णन के क्रम मे ऐसी छलांग उचित नहीं है। विश्वास है, आप मेरे कहे का मूल समझ रहे हैं।

बहरहाल छन्द पर हुआ आपका प्रयास निस्संदेह आश्वस्तिकारक है।

सादर

Comment by babita choubey shakti on June 1, 2016 at 9:28am
बहुत सुंदर छंद बधाई आ जी
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 29, 2016 at 10:36pm

आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, आपको छंद अच्छा  लगा मेरे रचनाकर्म को मान मिला. सादर आभार.

Comment by Samar kabeer on May 29, 2016 at 6:43pm
जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,बहुत सुंदर है आपकी रचना,इस प्रस्तुति पर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
Comment by Ashok Kumar Raktale on May 29, 2016 at 5:19pm

बहुत-बहुत आभार आदरणीय सुरेश कुमार जी.सादर.

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 28, 2016 at 11:43am
वाह वाह बहुत ही सुन्दर विनती आदरणीय बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service