For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ही चिप (महिला दिवस के उपलक्ष में एक हास्य व्यंग लघु कथा )

 “हे भोले भंडारी, कुछ कर बहुत परेशान कर रक्खा है मेरी सास ने जीना दूभर हो गया है हर वक़्त कोई न कोई बखेड़ा खड़ा कर टें टें करती रहती है मैं क्या करूँ?”

“बहुत बार समझा चुका हूँ तुम दोनों को वो माँ जैसी और तुम बेटी जैसी हो एक दूसरे की अहमियत समझो और सम्मान करो महिला होकर महिला का सम्मान नहीं करोगी तो किसी और से क्या उम्मीद करोगी किन्तु मुझे तुम्हारा कोई समाधान नजर नहीं आता हर बार अपना वादा तोड़ देती हो अच्छा बताओ क्या चाहती हो”?

“हे प्रभु कुछ ऐसा करो कि मेरी सास बोल न सके उसे गूंगी कर दो या उसकी जीभ छीन लो”|

“ठीक है आखिरी बार ये मन्त्र फूँक कर  पुड़िया  देता हूँ  जाकर अपनी सास के दूध में डाल कर  पिला देना इसको मिलाते ही दूध में मीठा पन आ जाएगा कम रहा तो अपनी तरफ से चीनी मिला देना जितना मीठा दूध होगा उतनी ही जल्दी असर करेगा तुम्हारी सास तोतली हो जायेगी”

बहू वापस मुड़ी ही थी कि उसकी सास आकर बोली “हे प्लभू ये त्या तिया आपने तो बहू तो तोतली तलने तो बोला था मदल मैं तोतली तैसे हो दई?”

“जरूर तुमने ज्यादा मीठा करने के लिए वो दूध चखा होगा जो बहू के लिए पुड़िया मिलाकर बनाया था थोड़ी देर में घर जाकर देखना तुम्हारी बहू भी चख चुकी होगी क्यूंकि मैं उसे भी अच्छे से जानता हूँ अभी भी तुम दोनों को अकल नहीं आएगी तो बहरा का दूँगा!!!!”

“नहीं प्लभू जी हमें तोतली ही लहने दो  बहला कल दोगे तो एक दूछ्ले की बातें कैछे छुनेंगी”

इतना सुनते ही महादेव जी ने पास में रखा लोटा भरा विष पी लिया कुछ और ज्यादा ही नीले  हो कर हाथ जोड़कर अपने प्रभु से बोले “हे प्रभु, इसके निर्माण में कहाँ कमी रह गई थी कहीं गलती से दोनों में एक ही चिप ????”

मौलिक एवं अप्रकाशित 

  

Views: 945

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 11, 2016 at 3:43pm

आ० डॉ० आशुतोष जी ,आपकी सराहना पाकर लेखन कर्म सार्थक हुआ दिल से आभार . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 11, 2016 at 3:42pm

आ० शेख़ उस्मानी जी आप उत्साह वर्धन करती हुई इस प्रतिक्रिया की शुक्रगुजार हूँ आपने इस प्रस्तुति के रोचकता को सराहा मेरा लिखना सार्थक हुआ |बहुत बहुत आभारी हूँ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 11, 2016 at 10:10am

आदरणीया  इस सुंदर हास्य लघुकथा के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 10, 2016 at 4:46am
अद्भुत...मज़ेदार... हास्य, रोचकता के साथ तोतले संवाद और प्रवाह ...सब कुछ एक साथ! बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2016 at 9:16pm

रामशिरोमणि पाठक जी ,आपका बहुत- बहुत शुक्रिया |

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2016 at 5:59pm
हा हा हा।।सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2016 at 12:08pm

आ० डॉ० विजय शंकर जी ,आपको प्रस्तुति पसंद आई दिल से आभार आपका सादर.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2016 at 12:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया राहिला जी ,आपने इस हास्य व्यंग का मजा लिया मेरा लेखन कर्म सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ |

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2016 at 5:46am
बहुत सुन्दर व्यंग। बधाई , आदरणीय राजेश कुमारी जी , सादर।
Comment by Rahila on March 8, 2016 at 10:04pm
बहुत बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी! आपकी ये रचना पढ़ कर इतना मजा आया कि क्या कहूं । बहुत शानदार लेखन और मंजी हुई कलम की देन है ये लघुकथा । पुनः बधाई ।सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service