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एक ही चिप (महिला दिवस के उपलक्ष में एक हास्य व्यंग लघु कथा )

 “हे भोले भंडारी, कुछ कर बहुत परेशान कर रक्खा है मेरी सास ने जीना दूभर हो गया है हर वक़्त कोई न कोई बखेड़ा खड़ा कर टें टें करती रहती है मैं क्या करूँ?”

“बहुत बार समझा चुका हूँ तुम दोनों को वो माँ जैसी और तुम बेटी जैसी हो एक दूसरे की अहमियत समझो और सम्मान करो महिला होकर महिला का सम्मान नहीं करोगी तो किसी और से क्या उम्मीद करोगी किन्तु मुझे तुम्हारा कोई समाधान नजर नहीं आता हर बार अपना वादा तोड़ देती हो अच्छा बताओ क्या चाहती हो”?

“हे प्रभु कुछ ऐसा करो कि मेरी सास बोल न सके उसे गूंगी कर दो या उसकी जीभ छीन लो”|

“ठीक है आखिरी बार ये मन्त्र फूँक कर  पुड़िया  देता हूँ  जाकर अपनी सास के दूध में डाल कर  पिला देना इसको मिलाते ही दूध में मीठा पन आ जाएगा कम रहा तो अपनी तरफ से चीनी मिला देना जितना मीठा दूध होगा उतनी ही जल्दी असर करेगा तुम्हारी सास तोतली हो जायेगी”

बहू वापस मुड़ी ही थी कि उसकी सास आकर बोली “हे प्लभू ये त्या तिया आपने तो बहू तो तोतली तलने तो बोला था मदल मैं तोतली तैसे हो दई?”

“जरूर तुमने ज्यादा मीठा करने के लिए वो दूध चखा होगा जो बहू के लिए पुड़िया मिलाकर बनाया था थोड़ी देर में घर जाकर देखना तुम्हारी बहू भी चख चुकी होगी क्यूंकि मैं उसे भी अच्छे से जानता हूँ अभी भी तुम दोनों को अकल नहीं आएगी तो बहरा का दूँगा!!!!”

“नहीं प्लभू जी हमें तोतली ही लहने दो  बहला कल दोगे तो एक दूछ्ले की बातें कैछे छुनेंगी”

इतना सुनते ही महादेव जी ने पास में रखा लोटा भरा विष पी लिया कुछ और ज्यादा ही नीले  हो कर हाथ जोड़कर अपने प्रभु से बोले “हे प्रभु, इसके निर्माण में कहाँ कमी रह गई थी कहीं गलती से दोनों में एक ही चिप ????”

मौलिक एवं अप्रकाशित 

  

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 11, 2016 at 3:43pm

आ० डॉ० आशुतोष जी ,आपकी सराहना पाकर लेखन कर्म सार्थक हुआ दिल से आभार . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 11, 2016 at 3:42pm

आ० शेख़ उस्मानी जी आप उत्साह वर्धन करती हुई इस प्रतिक्रिया की शुक्रगुजार हूँ आपने इस प्रस्तुति के रोचकता को सराहा मेरा लिखना सार्थक हुआ |बहुत बहुत आभारी हूँ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 11, 2016 at 10:10am

आदरणीया  इस सुंदर हास्य लघुकथा के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 10, 2016 at 4:46am
अद्भुत...मज़ेदार... हास्य, रोचकता के साथ तोतले संवाद और प्रवाह ...सब कुछ एक साथ! बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीया राजेश कुमारी जी।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2016 at 9:16pm

रामशिरोमणि पाठक जी ,आपका बहुत- बहुत शुक्रिया |

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2016 at 5:59pm
हा हा हा।।सुन्दर प्रस्तुति आदरणीया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2016 at 12:08pm

आ० डॉ० विजय शंकर जी ,आपको प्रस्तुति पसंद आई दिल से आभार आपका सादर.  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 9, 2016 at 12:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया राहिला जी ,आपने इस हास्य व्यंग का मजा लिया मेरा लेखन कर्म सार्थक हुआ दिल से आभारी हूँ |

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 9, 2016 at 5:46am
बहुत सुन्दर व्यंग। बधाई , आदरणीय राजेश कुमारी जी , सादर।
Comment by Rahila on March 8, 2016 at 10:04pm
बहुत बधाई आदरणीया राजेश कुमारी जी! आपकी ये रचना पढ़ कर इतना मजा आया कि क्या कहूं । बहुत शानदार लेखन और मंजी हुई कलम की देन है ये लघुकथा । पुनः बधाई ।सादर

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