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मार डालेगा तेरा गैर जबाबी होना (ग़ज़ल 'राज')

2122  1122   1122   22

शाम को झील के रुख़सार गुलाबी होना

 मिलके खुर्शीद से जज्बात रूहानी होना

 

उन्स की  मय से लबालब है ग़ज़ल का सागर

, डूबकर उसमे सुखनवर का शराबी होना 

 

बिन कहे छोड़ के जाना यूँ अकेले लिल्लाह

मार डालेगा तेरा गैर जबाबी होना

 

पाक उल्फत या मुहब्बत या इबादत समझो

कृष्ण की चाह में मीरा का दिवानी होना

 

वो मुहब्बत है कहाँ आज वो दिलदार कहाँ

चुन के दीवार में चुपचाप कहानी होना   

 

  नक्श उम्मीद-ए-कलम के ये सदा होते हैं 

  दिल के ज़ज्बात के सागर में सुनामी होना  

 

कब्र का हाल तो मुर्दा ही समझ सकता है

लोग आसान समझते हैं निजामी होना           

 

पुरखतर राह जवानी की बड़ी होती है

उस पे मासूम तेरा रू-ए-किताबी होना 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment by rajesh kumari on March 12, 2016 at 9:24am

आ० लक्ष्मण भैय्या  ,या तो आप टिप्पणी प्राची जी की ग़ज़ल पर कर रहे थे या मेरा नाम भूल गए ? एनी वे आभार आपका .

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 5, 2016 at 11:19am

आ० प्राची बहन इस सुन्दर गज़क्ल के लिए हार्दिक बधाई l


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2016 at 9:44pm

आभार  भाई  जी ,कुछ सोचती हूँ .

Comment by Samar kabeer on March 3, 2016 at 9:20pm
जी,बहना इसे ख़ारिज न करें बल्कि सानी मिसरे पर उसके अर्थ को ध्यान में रखते हुए ऊला मिसरा बदल दीजिये,ये तो आपके बाएं हाथ का खेल है हा हा हा...

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2016 at 6:36pm

बृजेशकुमार जी ,आपका दिल से बहुत- बहुत आभार| 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 3, 2016 at 6:35pm

आ० सुशील सरना जी ,आपकी जर्रानवाजी का दिल से शुक्रिया मेरा लिखना सार्थक हुआ .

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 3, 2016 at 3:46pm

वाहह वाहह क्या ही खूबसूरत ग़ज़ल कही है बहुतखूब..

Comment by Sushil Sarna on March 3, 2016 at 1:30pm

वो मुहब्बत है कहाँ आज वो दिलदार कहाँ
चुन के दीवार में चुपचाप कहानी होना

वाह आदरणीया वाह कितने गहन अहसास हैं इस ग़ज़ल में। ... बहुत खूब.... हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया राजेश कुमारी जी इस बेहतरीन प्रस्तुति पर।


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Comment by rajesh kumari on March 3, 2016 at 12:41pm

आ० नादिर खान जी ,आपको अशआर पसंद आये मेरा लेखन कर्म सफल हुआ |आप सही फरमाते हैं आ० समर भाई  जी से बहुत कुछ सीखने को मिलता है |


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Comment by rajesh kumari on March 3, 2016 at 12:40pm

आ० समर भाई जी आपके मार्गदर्शन की बेहद शुक्र्गुजार हूँ इस शेर को खारिज करके दूसरी तरह लिखूंगी. 

कृपया ध्यान दे...

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