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मौकापरस्त – ( लघुकथा ) –

समूचा क्षेत्र सूखे और अकाल की चपेट में था! चारों ओर त्राहि त्राहि मची हुई थी!लोग एक एक बूंद पानी को तरस रहे थे!ऐसे में  गॉव के प्रधान वीर पाल ने आस पास के सभी गॉवों में मुनादी पिटवा दी कि बारिस करवाने के लिये महायज्ञ और भागवत कथा का आयोजन कराया जा रहा है!यह कार्य क्रम पंद्रह दिन चलेगा!मथुरा वृंदावन से साधु संत और भागवत कथा वाचक बुलाये जायेंगे!अनुमानित खर्चा इक्यावन हज़ार के लगभग  होगा!सभी लोग अपनी सामर्थ्य और श्रद्धा से इस दान पुन्य के महोत्सव मे बढ चढ कर भाग लें!

नियत तिथि पर प्रधान जी के जानवरों के घेर(परकोटा )में यह शुभ कार्य  प्रारंभ हो गया!मुख्य द्वार पर प्रधान जी का पुत्र रसीद बुक लेकर चंदा वसूली का कार्य संभाल रहा था!सुबह से शाम तक लोगों का तांता लगा हुआ था! अच्छी खासी क़माई हो रही थी! नगदी के अलावा फ़लफ़ूल,मिठाई और मेवे भी भरपूर आ रहे थे!

पूरे पंद्रह दिन बाद इस महा यज्ञ की पूर्णाहुति हो गयी!लोग अब बारिस का बेसब्री से इंतज़ार करने लगे!

शाम को उसी घेर में प्रधान जी और उनका बेटा प्रसाद के रूप में सोमरस ग्रहण  कर रहे थे!

"बापू, अगर अब भी  बारिस नहीं हुई तो"!

"तो क्या होगा,अपनी  तिज़ोरी में तो भरपूर धन वर्षा हो गयी ना"!

 मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on March 14, 2016 at 2:03pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय जी!

Comment by vijay nikore on March 14, 2016 at 1:12pm

लघु कथा बहुत सुन्दर बनी है। हार्दिक बधाई।

Comment by TEJ VEER SINGH on March 8, 2016 at 1:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on March 8, 2016 at 1:12pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी!

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 7, 2016 at 9:08pm

मोहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,   अन्धविश्वास पर अच्छा कटाछ ,   अच्छी लघु कथा। .. मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by Sushil Sarna on March 7, 2016 at 9:03pm

मौकापरस्ती को दर्शाती सुंदर लघुकथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी। 

Comment by TEJ VEER SINGH on March 7, 2016 at 8:07pm

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on March 7, 2016 at 8:07pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ विजय शंकर जी!

Comment by Rahila on March 7, 2016 at 7:33pm
बहुत शानदार रचना हुई आदरणीय सर जी! बहुत बधाई ।सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on March 7, 2016 at 6:11pm
होता तो यही है , लोग लुट कर भी खुश होते हैं और तिजोरी भरने वाले को अनुष्ठान कराने के लिए दुआ भी देते हैं।
बड़ी दमदार कथा है। बधाई , आदरणीय तेजवीर सिंह जी , सादर।

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