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कसक – ( लघुकथा ) –

 कसक – ( लघुकथा ) –

रोहित बिहार के पटना ज़िले के एक छोटे से गॉव के एक गरीब  किसान परिवार का इकलौता मगर होनहार पुत्र था!वह  हैदराबाद विश्वविद्यालय में "भारतीय राजनीति का गिरता स्तर" विषय पर शोध कार्य कर रहा था!उसकी कार्य शैली और थीसिस के संस्करण देख उसके गाइड चकित थे!

राजनीतिज्ञों को जैसे ही इन बातों की हवा लगी, वे रोहित को साम, दाम, दंड, भेद खरीदने में लग गये!वे नहीं चाहते थे कि उसका शोध कार्य छपे!सबके चेहरे बेनक़ाब हो जायेंगे!जब कोई युक्ति कारगर साबित नहीं हुई तो रोहित को खत्म करने का निश्चय  हुआ!

भोर के अंधेरे में जब वह सुबह की सैर करके लौट रहा था उसे एक पुलिस की जीप ने उडा दिया!अब इसे खुश किस्मती कहें या बद किस्मती, वह बच गया मगर एक टांग काटनी पडी!रोहित के  अनुरोध पर यह खबर उसके परिवार को नहीं दी गयी!रोहित अब बैसाखियों से शोध कार्य कर रहा था लेकिन जोश में कोई कमी नहीं थी!

विश्वविद्यालय में अवकाश घोषित हो गये थे!रोहित का मन गॉव जाने को कर रहा था!परंतु उसे यही डर था कि उसे इस हालत में देख मॉ बापू पर क्या बीतेगी!इसी उधेडबुन में, उनका मन टटोलने के लिये और उनको मानसिक रूप से तैयार करने के लिये घर फ़ोन किया,

"बापू,हम घर आ रहे हैं,अभी छुट्टियां लग गयी हैं"!

"आजा बचुआ,तोरी माई भी तुझे देखने को बेचैन है"!

"बापू, आपसे एक सलाह लेना है"!

"हॉ हॉ ज़रूर , बोलो क्या बात है"!

"बापू, हमरा एक दोस्त है वह भी हमरे साथ आना चाहता है"!

"तो ले आओ ना, जो भी है रूखा सूखा, मिलकर खा लेंगे"!

"वह बात नहीं है बापू"!

"तब फ़िर क्या मामला है,कोई लडकी का चक्कर तो नहीं"!

"अरे नहीं बापू,ऐसा कुछ भी नहीं है!दर असल उसका एक ही पैर है!एक पैर दुर्घटना में कट गया"!

"मतलब लूला लंगडा है!अपाहिज़ है"!

"यही तो समस्या है"!

"समस्या तो ज़टिल है पर देख लेंगे,जैसे होगा करेंगे,कुछ ही दिन की तो बात है"!

"यदि वह हमेशा के लिये मेरे साथ मेरे गॉव रहना चाहे तो"!

"नही रोहित कदापि नहीं, ऐसी भूल मत करना!जानबूझकर एक मुसीबत अपने गले में क्यों डालना"!

"ठीक है बापू ,मैं समझ गया"!

 उसी दिन देर रात रोहित के किसी मित्र ने रोहित के पिता को सूचित किया कि रोहित की एक  सडक दुर्घटना में एक टांग कट गयी थी! रोहित यह सदमा नहीं सह पया और उसने आत्म हत्या कर ली!

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on March 11, 2016 at 8:00pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीता जी!

Comment by Nita Kasar on March 11, 2016 at 7:17pm
पिता को क्या पता बेटा टटोल रहा है उन्है संवेदनशील कथा के लिये बधाई आद०तेजवीर सिंह जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on March 10, 2016 at 7:25pm

हार्दिक आभार आदरणीय रामबली गुप्ता जी!

Comment by रामबली गुप्ता on March 10, 2016 at 6:53pm
हृदय में चुभन पैदा कर दिया आपने आदरणीय तेज वीर जी
अत्यंत मार्मिक लघुकथा हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय
Comment by TEJ VEER SINGH on March 10, 2016 at 6:05pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुशील सरना जी!

Comment by Sushil Sarna on March 10, 2016 at 3:45pm

वाह सच्चाई को ब्यान करती एक मार्मिक लघु कथा। हृदय को द्रवित करने वाली इस लघु कथा की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी। 

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