For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2212 2212 2212 12
बदले भले मौसम कभी मत आप दहलिये
सुलगे हमीं कितना कहें चुपचाप रह लिये।1

बदली हुई रुत देखते जाती रही खुदी
होगी नजर फिर आपकी सोचा उछह लिये।2

सूनी पड़ी है देखिये अपनी जहाँ अभी
आकर यहाँ चुपचाप ही निः शंक टहलिये।3

आधी अधूरी आज तक दिल की लगी रही
अबतक सहे हम हैं बहुत बस आज कह लिये।4

अब तो खिले कुछ फूल हैं फिर आपकी नजर
मसले गये हर बार सहते खार रह लिये।5

इतरा रहे कितना अभी गेंदा गुलाब हैं
छितरा रहे कैसी छटा लहकार डहलिये!6

मचली धरा है माँगती थोड़ा गुमान ही
रस्ते चले अपना समझ यूँ आज शह लिये।7

बहने लगी जब नम हवा रस की खुमार -सी
सब भूल कर अपनी घुटन हम साथ बह लिये।8

बेघर अरे कितना बड़ा लगते कभी- कभी
दिल से छिटक भोली नजर सरकार रह लिये।9

तब थी चली जो बात अब नजरें सँवारती
पढ़ते रहे हम तो अभी चुप आप रह लिये।10

पसरा घना तम मौन है दिल देहरी अभी
दहके रहे हम ही कभी क्यूँ आप ढह लिये।11
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 456

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on January 31, 2016 at 8:37am
आदरणीय मिथिलेश जी,आभार आपका।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 27, 2016 at 11:58pm

आदरणीया मनन कुमार सिंह जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति, हार्दिक बधाई 

Comment by Manan Kumar singh on January 26, 2016 at 9:15am
आदरणीय तेजवीर जी,आभार आपका।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 25, 2016 at 6:21pm

हार्दिक बधाई आदरणीया मनन कुमार सिंह जी!बेहतरीन गज़ल!

Comment by Manan Kumar singh on January 25, 2016 at 6:11pm
आदरणीय समर जी,आदाब आपको।
Comment by Samar kabeer on January 25, 2016 at 2:42pm
जनाब मनन कुमार जी आदाब,इस प्रस्तुति पर बधाई आपको !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"  आ. भाई  , Mahendra Kumar ji, यूँ तो  आपकी सराहनीय प्रस्तुति पर आ.अमित जी …"
1 hour ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"1. //आपके मिसरे में "तुम" शब्द की ग़ैर ज़रूरी पुनरावृत्ति है जबकि सुझाये मिसरे में…"
2 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"जनाब महेन्द्र कुमार जी,  //'मोम-से अगर होते' और 'मोम गर जो होते तुम' दोनों…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
5 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
12 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
12 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
12 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
13 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service