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दर्द का रिश्ता - (लघुकथा) –

"निर्मला, कुछ सुना तूने,दौनों देशों में समझौता हुआ है! छब्बीस जनवरी को सारे कैदियों की अदला बदली होगी!तेरा भाई छुट्टन भी वापस आ जायेगा"!

"ताई सुना तो है,पर जब तक छोटू को सामने नहीं देख लेती, मुझे किसी पर भरोसा नहीं "!

"निम्मो,मुझे सब पता है! तुझे  क्या क्या पापड बेलने पडे ! छुट्टू तो बेचारा सात साल की उम्र में इनके चुंगुल में फ़ंस गयाथा ! दोस्तों के उकसावे में अपनी गैंद लाने सरहद पार चला गया था "!

"ताई, छुट्टू के साथ साथ फ़ंसा तो हमारा पूरा परिवार ही था, इन ज़ालिमों की गिरफ़्त में!पूरे सत्ताईस साल हो गये!मॉ को तो उसी दिन लकवा मार गया था , दो साल बाद मर गयी ! बापू भी छुट्टु की रिहाई के लिए भाग दौड करते करते चल बसा!आधी ज़मीन भी बिक गयी!मॉ बापू के मरने के बाद बची मैं, छोटू की इकलौती बदनसीब बहिन, क्या क्या नहीं करना पडा"!

"निम्मो, तुझे एक बात और भी कहनी थी"!

"ताई, बोलो ना, पूरे गॉव में एक तेरा ही  तो सहारा है"!

"देख छुट्टू को वह सब बताने की भूल मत करबैठना,  जो कुछ तूने उसके लिये किया"!

"ताई, कौन बदनसीब बहिन, अपने भाई से अपनी अंधियारी रातों की काली करतूतें  सांझा करती है,भले ही वह सब उसी के लिये किया हो! और दूसरी बात मेरे ना बताने से क्या उसे पता ना चलेगा! यह सब गॉव वाले ,नेता ,अफ़सर खुद ही  बघारेंगे अपनी शेखी, बात तो खुल के ही रहेगी"!

"तो फ़िर तेरी सारी क़ुर्बानी मिट्टी में मिल जायेगी!छुट्टू तेरे साथ ना रहेगा"!

"ताई, मैंने बडी बहिन होने का फ़र्ज़ निभा दिया! छोटे भाई के इंतज़ार  में अपना घर भी नहीं बसाया !अब छुट्टू जाने और उसका धर्म"!

.

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by Madanlal Shrimali on January 17, 2016 at 6:56am
त्याग और बलिदान की भावना से ओतप्रोत सुंदर लघुकथा।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 7, 2016 at 5:52pm

हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 7, 2016 at 12:09pm

आदरनीय तेज़ वीर भाई , ईमानदार रिश्ते के ताने बाने में बुनी आपकी लघु कथा बहुत सुन्दर लगी । आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 6, 2016 at 1:57pm

हार्दिक आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 6, 2016 at 10:24am

रिश्तों के धागे में बंधी मानवीय संवेदनाओं का बहुत बढ़िया चित्र खींचा है लघु कथा के माध्यम  से हार्दिक बधाई आ० तेजवीर सिंह जी .

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2016 at 6:50pm

हार्दिक आभार आदरणीय सतविंदर जी  जी!लघुकथा पर आप की उपस्थिति अच्छी लगी!पुनः आभार!

Comment by TEJ VEER SINGH on January 5, 2016 at 6:49pm

हार्दिक आभार आदरणीय मदन लाल  जी!लघुकथा पर आप की उपस्थिति मन को प्रसन्नता दे गयी!पुनः आभार!

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 5, 2016 at 1:30pm
संवेदनाओं का सुंदर चित्रण।बधाई आदरणीय तेजवीर जी।
Comment by Madanlal Shrimali on January 5, 2016 at 8:24am
दुःख सहन करने वाला ऐसे ही दुःख देने वालो से परेशान रहता है उसपर दकियानूसी सोच वाले रिश्तेदार, पड़ोसी और अन्य परिचित जले पर नमक छिड़कने का काम करते है।मानवीय संवेदनाओ का सुंदर शब्दांकन।बधाई हो आदरणीय तेजवीरजी।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 4, 2016 at 6:13pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर कबीर साहब जी!मेरी किसी भी  लघुकथा पर शायद यह आपकी प्रथम उपस्थिति है!मेरी लघुकथा धन्य हो गयी!आप जैसे गुणी जनों का प्रशस्तिपत्र मेरी लघुकथा को सम्मान है!आपका पुनः हार्दिक आभार!

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