For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(आ चलो)

गजल
2122 2122
**************************
मैं चलो सपने सजा दूँ
आ सुनो अब गीत गा दूँ।
जो पड़ीं सोयी जहन में
ख्वाहिशें फिर से जगा दूँ।
जो बुझी है आरजू अब
आ उसे जलना सिखा दूँ।
है पड़ी सूनी डगर अब
राग मीठा गुनगुना दूँ ।
चल अली सूनी गली का
साँस से रिश्ता लगा दूँ ।
रश्मियों से आरती कर
आ अभी पलकें बिछा दूँ।
छू गया कबका पवन मुख
बन हवा तुझको रिझा दूँ।
छा रहीं मुख पे घटायें
आ अभी फिरसे सजा दूँ।
ताप तेराअब शमन कर
नेह की सरिता बहा दूँ।
री कली तू अधखिली-सी
चल कहीं आँचल उड़ा दूँ।
कब तलक सिमटी रहेगी
लाज का घूँघट उठा दूँ।
मौलिक व् अप्रकाशित@मनन

Views: 511

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on December 23, 2015 at 5:31pm
आभार सतविंदर जी
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 13, 2015 at 2:48pm
वह्ह्ह्ह्ह्!बहुत ख़ूब।
Comment by Manan Kumar singh on December 13, 2015 at 1:27pm
आदरणीय मिथिलेश जी,आभार आपका
Comment by Manan Kumar singh on December 13, 2015 at 1:26pm
आदरणीय मोहन जी,आभार आपका

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 7, 2015 at 4:35am

आदरणीय मनन जी इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई निवेदित है. सादर 

Comment by मोहन बेगोवाल on December 6, 2015 at 10:15pm

  बहुत बधाई हो -छोटी बहर की सुंदर ग़ज़ल कहने की

Comment by Manan Kumar singh on December 6, 2015 at 11:27am
आदरणीय गिरिराज भाई,आपके प्रेरणा के शब्द मेरा हौसला हैं;आभार आपका।
Comment by Manan Kumar singh on December 6, 2015 at 11:26am
आ.लक्ष्मण जी,प्रेरणापरकता के लिए आपका आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 6, 2015 at 11:03am

आदरणीय मनन भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है , आपको दिली बधाइयाँ गज़ल के लिये ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 6, 2015 at 8:12am

बहुत खूब ...आ० मनन भाई ,हार्दिक बधाई l

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
50 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
59 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहे*******तन झुलसे नित ताप से, साँस हुई बेहाल।सूर्य घूमता फिर  रहा,  नभ में जैसे…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी को सादर अभिवादन।"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
16 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"ऐसे ऐसे शेर नूर ने इस नग़मे में कह डाले सच कहता हूँ पढ़ने वाला सच ही पगला जाएगा :)) बेहद खूबसूरत…"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
yesterday
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा

.ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा, मुझ को बुनने वाला बुनकर ख़ुद ही पगला जाएगा. . इश्क़ के…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service