For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जब तुम हंसती हो झरते हैं,

जब

तुम हंसती हो
झरते हैं,
दशों दिशाओं से
इंद्रधनुषी झरने
हज़ार - हज़ार तरीके से
नियाग्रा फाल बरसता हो जैसे
तब,
सूखी चट्टानों सा
मेरा वज़ूद
तब्दील हो जाता है
एक हरी भरी घाटी में
जिसमे तुम्हारी
हंसी प्रतिध्वनित होती है
और मै,
सराबोर हो जाता हूँ
रूहानी नाद से
जैसे कोई योगी नहा लेता है
ध्यान में उतर के
अनाहत नाद की
मंदाकनी में

मुकेश इलाहाबादी ----

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on December 28, 2015 at 3:17pm

sabhee mitron ka bahut bahut aabhaar post pasandgee ke liye

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 3:22pm

बहुत ही दिलकश रचना है। आनन्द आया। हार्दिक बधाई, आदरणीय मुकेश जी।

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on December 7, 2015 at 3:08pm

shurkiaa Mithilesh jee is sarahna ke liye

Comment by shree suneel on December 5, 2015 at 8:52pm
इस सुन्दर भावपूर्ण रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरणीय मुकेश श्रीवास्तव जी. सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 3, 2015 at 10:26pm

आदरणीय मुकेश जी, सुन्दर भावाभिव्यक्ति पर हार्दिक बधाई 

Comment by Sushil Sarna on December 1, 2015 at 7:57pm

और मै,
सराबोर हो जाता हूँ
रूहानी नाद से
जैसे कोई योगी नहा लेता है
ध्यान में उतर के
अनाहत नाद की
मंदाकनी में

वाह क्या बात है आदरणीय भावनाओं से लबरेज़ से सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on December 1, 2015 at 9:48am

 bahut bahut aabhar mitra Sameer Kabber jee, Digvijay ji & shyamnarayan Verma jee

Comment by Samar kabeer on November 30, 2015 at 10:51pm
जनाब मुकेश श्रीवास्तव जी,आदाब,आपकी कविता सुनी,बहुत ही सुन्दर कविता है,अपने ख़यालात को अल्फ़ाज़ की माला में पिरोकर बहुत ही अच्छे ढंग से पेश किया है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by DIGVIJAY on November 30, 2015 at 9:32pm

बहुत ही सुन्दर माननीय सदस्य महोदय पढ़ कर अदभुत आनंद मिला । हार्दिक बधाईयाँ आपको ।

Comment by Shyam Narain Verma on November 30, 2015 at 5:16pm
बहुत ही सुंदर , हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service