For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

झुमका झांझर चूड़ियाँ, करधन नथ गलहार |

बिंदी देकर मांग भर,.....कर साजन सिंगार ||

 

सूनी सेज न भाय रे, छलकें छल-छल नैन |

पी-पी कर रतिया कटे,....दिन करते बेचैन ||

 

उस आँगन की धूल भी, करती है तकरार |

अपनेपन से लीपकर , जहां बिछाया प्यार ||

 

हरियाली घटने लगी, कृषक हुए सब दीन |

राजनीति जब देश की, खाने लगी जमीन ||

 

टहनी के हों पात या, हों फुनगी के फूल |

दोनों तरु की शान हैं, तरु दोनों का मूल ||   

 

लगन लगे जब प्रेम की, बहे प्रीति की धार |

मन डूबे मँझधार में,......तन उतरे उस पार ||

 

मोल न जाने वक्त का, घाम पड़े तक सोय |

पाये सपनों में ख़ुशी,.....नैन खुले तब रोय ||

 

 

मौलिक/अप्रकाशित.

Views: 647

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 13, 2015 at 1:52pm

आदरणीया  कान्ता रॉय जी सादर, प्रस्तुत  दोहा छंदों  के  भावों  को आपने  महसूस  किया  है. मेरे  रचनाकर्म  को सार्थकता  मिली  है.  आपका  हृदयातल  से  आभार. सादर.

Comment by kanta roy on October 12, 2015 at 11:07pm

सात दोहे में उकेरे है आपने जीवन के सात रंग। दुल्हन के सिंगार का साजन से नाता का बड़ा ही कोमल भाव हुआ है वहीं दूसरे तरफ आँगन के लीपन में रिश्तों का प्यार समाया है। राजनितिक विसंगतियों को, किसान का दर्द भी समेट लिए है आपने इन पंक्तियों में।
लगन लगे जब प्रेम की, बहे प्रीति की धार |
मन डूबे मँझधार में,......तन उतरे उस पार ||------ चैतन्य मन को भी यहाँ बहुत खूब परिभाषित किये है। बधाई स्वीकार करे इस अद्वितीय रचना के लिए।

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 11, 2015 at 8:17am

दोहे पसंद करने के लिए आपका दिल से आभार आदरणीय सतविन्दर कुमार जी. सादर.

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 10, 2015 at 10:23am
सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई आदरणीय
Comment by Ashok Kumar Raktale on October 9, 2015 at 9:35pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा साहब सादर, प्रस्तुत दोहे पसंद कर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार. सादर.

Comment by Ashok Kumar Raktale on October 9, 2015 at 9:34pm

आदरणीय जयनित कुमार मेहता "जय" जी सादर, प्रस्तुति पर उत्साहवर्धन करने के लिए आपका दिल से आभार. सादर.

Comment by Shyam Narain Verma on October 9, 2015 at 3:11pm

वाह बेहद खूबसूरत प्रस्तुति … हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय।

Comment by जयनित कुमार मेहता on October 9, 2015 at 9:07am
वाह! मन को उद्वेलित करने वाली रचनाएं.. बधाई स्वीकार करें, सादर..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
4 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
15 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service