For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस गीत के सभी अंतरे “हीर छंद” (६,६,११. आदि गुरु अंत रगण) पर आधारित हैं.

 

 

मानव है, मानव बन, मानव का प्यार ले,

बैर भूल, द्वेष मिटा, जिंदगी सँवार ले ||

  

लोक लाज, भूल गया, कैसा मनु कर्म है,

दौलत ही, देवता व, पैसा ही धर्म है,

पाप कर्म, छोड़ सभी, सत का उपहार ले,

बैर भूल, द्वेष मिटा, जिंदगी सँवार ले ||

 

भेद-भाव, जाति-पाति, कैसी ये रीति है,

घाट-घाट, ऊँच नीच, कैसी ये नीति है,

छोड़ नीति, तोड़ रीति, सबका आभार ले,

बैर भूल, द्वेष मिटा, जिंदगी सँवार ले ||

 

एक बनें, नेक बनें, देश का विकास हो,

प्रेम रहे, शान्ति रहे, ऐसा विश्वास हो,

बंधन ये, प्यार भरे, मानव स्वीकार ले,

बैर भूल, द्वेष मिटा, जिंदगी सँवार ले ||

 

 

मौलिक/अप्रकाशित.

 

Views: 409

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 10, 2015 at 7:46pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर, आपकी प्रतिक्रिया से मेरे रचना प्रयास को सार्थकता मिली. बहुत-बहुत आभार. सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 10, 2015 at 1:26pm

आदरणीय अशोक रक्ताले सर, बहुत सुन्दर संदेशप्रद गीत हुआ है. इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई सादर 

Comment by Ashok Kumar Raktale on November 9, 2015 at 10:24pm

प्रस्तुत गीत आपको अच्छा लगा मेरा उत्साहवर्धन हुआ बहुत-बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी. सादर.

Comment by Shyam Narain Verma on November 9, 2015 at 4:45pm
वाह ! बहुत खूब | सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

AMAN SINHA posted blog posts
34 minutes ago
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: सही सही बता है क्या

1212 1212सही सही बता है क्याभला है क्या बुरा है क्यान इश्क़ है न चारागरतो दर्द की दवा है क्यालहू सा…See More
35 minutes ago
Sushil Sarna posted blog posts
35 minutes ago
दिनेश कुमार posted blog posts
35 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service