For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाता नहीं अब कोई भी दर्द दवा लेकर (ग़ज़ल)

(221 1222 221 1222)

जाता नहीं अब कोई भी दर्द दवा लेकर..
ज़ख्मों को भरा दिल के,यादों का नशा लेकर..
-
अब तक न मेरे फ़न को पहचान सके हैं जो,
फिर बाद में ढूंढेंगे वो मुझको दिया लेकर..
-
फीके सभी पकवानों के स्वाद हो जाते हैं,
खाता है नमक रोटी, जब भी वो मज़ा लेकर..
-
खोले खिड़की बैठा मैं देख रहा रस्ता,
शायद पहुँचे, कोई पैगाम हवा लेकर..
-
न ढूंढ सकेगा सारी उम्र खुदा को 'जय',
फिर बोल करेगा क्या, तू उसका पता लेकर..
~
~
-जयनित कुमार वर्मा
अररिया,बिहार
(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 9, 2015 at 11:23am

भाई, आपकी कोशिश अच्छी है. आप ग़ज़ल पर उपलब्ध आलेख को पढ़ते रहें. शब्दों के वज़न से वाकिफ़ होते जायेंगे. जैसे ’खिड़की’ शब्द का वज़न ११२ न हो कर २२ होगा. ऐसा क्यों होत अहै इसे जानने की कोशिश करें.. 

शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 8, 2015 at 11:02pm
इस प्रयास हेतु बधाई शेष जनाब समर साहब ने कह ही दिया है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 8, 2015 at 6:35pm
आदरणीय जयनित जी इस प्रस्तुति पर बधाई। आपको आदरणीय समर कबीर जी जैसे उस्ताद से बढ़िया मार्गदर्शन मिल गया है उनकी इस्लाह हमेशा फायदेमंद होती है। सादर
Comment by Madan Mohan saxena on September 8, 2015 at 5:22pm

फीके सभी पकवानों के स्वाद हो जाते हैं,
खाता है नमक रोटी, जब भी वो मज़ा लेकर..
-
खोले खिड़की बैठा मैं देख रहा रस्ता,
शायद पहुँचे, कोई पैगाम हवा लेकर..

अति सुंदर

Comment by Harash Mahajan on September 8, 2015 at 1:19pm

"अब तक न मेरे फ़न को पहचान सके हैं जो,
फिर बाद में ढूंढेंगे वो मुझको दिया लेकर.." अति सुंदर अहसास......बधाई सिकार करें ! सादर !!

Comment by shree suneel on September 8, 2015 at 12:57am
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय जयंत कुमार वर्मा जी. बधाई आपको. सादर.
Comment by Samar kabeer on September 7, 2015 at 10:49pm
जनाब जयनित कुमार वर्मा जी,आदाब,तीसरे,चोथे और पाँचवे शैर की बह्र एक बार और देख लें ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on September 7, 2015 at 8:13pm

हार्दिक आभार, आपलोगों का..

Comment by Ravi Shukla on September 7, 2015 at 2:44pm

आरदणीय जयनति जी सुन्‍दर प्रस्‍तुति हेतु बधाई ।

Comment by jyotsna Kapil on September 7, 2015 at 12:26pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हेतु बधाई स्वीकार करें आ.जयनित कुमार वर्मा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
5 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service