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आश्वासन [लघुकथा]

"मम्मा ,देखो आपके वाइट बाल.. वन ,टू.."  लाड़ से उसके बालों में कंघी करते हुए,  उसकी सात साल की बेटी चिल्लाई I

"मेरे बालों  में दर्द हो रहा है, अब छोड़ " किताब में आँखें  गड़ाए वो बोली I

बिटिया अचानक चुप हो गई थी I कंघी करते हुए हाथ भी रुक गए थे I

"क्या हुआ "? उसने बेटी को आगे खींचते हुए पूछा I

"मम्मा ,जिसके बाल वाइट हो जाते हैं वो ओल्ड हो जाता है ना  ? बंटी की दादी के भी बाल वाइट हैं ,वो अलग कमरे में रहती हैं ,कोई उनके पास भी नहीं जाता I मम्मा क्या आप भी कभी ओल्ड हो जाओगी. .? और ...और फिर.... "  वो उससे चिपट कर रोने लगी I

 उसका दिल कह रहा था कि प्यार से बेटी के सिर  में हाथ फेरकर उसे हमेशा की तरह आश्वस्त करे, पर दिमाग़ पूछ रहा था कि ...क्या आश्वासन देगी ?

 

मौलिक व् अप्रकाशित

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Comment by Omprakash Kshatriya on September 2, 2015 at 9:27pm

आदरणीय प्रतिभा पाण्डेय जी आप की इस शानदार लघुकथा के लिए बधाई .

Comment by Omprakash Kshatriya on September 2, 2015 at 1:20pm
बहुत सुंदर सवाल छोड़ती लघुकथा ।
Comment by Tanuja Upreti on September 2, 2015 at 12:05pm

सुन्दर लघुकता के लिए बधाई प्रतिभा जी 

Comment by TEJ VEER SINGH on September 2, 2015 at 11:41am

हार्दिक बधाई आदरणीय प्रतिभा पाड़े जी, बहुत शानदार लघुकथा बनी है!बाल मन कभी कभी ऐसे प्रश्न कर देता है कि उनके जवाब देना एक नयी उलझन खडी कर देता है!

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