For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मिठाई ( लघुकथा )

नास्तिक बाबूजी को देर रात ,चुपके से पूजाघर से निकलते देख मानस की उत्सुकता जाग गई,और पुलिसिया मन शंकित हो उठा।वो चुपके से उनके पीछे चल पड़ा।

उन्होंने हाथ में पकड़ा लड्डू माँ की ओर बढ़ा दिया
" लो खा लो "
" ये कहाँ से लाए आप ?"
"पूजा घर से "उन्होंने निगाह चुराते हुए कहा।
उसकी आँखें भर आयीं अपनी लापरवाही पर। घर में सौगात में आये मिठाई के डिब्बों का ढेर मानो उसे मुँह चिढ़ा रहा था।


( मौलिक एवम अप्रकाशित )

Views: 731

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on July 15, 2015 at 10:27am

बहुत  बढ़िया  कथा ,  बधाई आ० ज्योत्स्ना जी 

Comment by jyotsna Kapil on July 14, 2015 at 10:04pm
सर्वप्रथम आपका हृदयतल से आभार व्यक्त करती हूँ आ.मिथिलेश वामनकर जी कथा को समय देने एवम सराहने के लिए।आपकी शुभेच्छा मेरा मार्ग अवश्य प्रशस्त करेगी।
Comment by jyotsna Kapil on July 14, 2015 at 9:52pm
आपका कहना बिलकुल सत्य है आ. विनय सिंह जी।परन्तु कई बार ऐसा भी हो जाता की की किसी के लिए बुरा न चाहते हुए भी असावधानी वश हम बुरा कर बैठते हैं।बस उससे बचने का प्रयास ही अगर कर पाए तो कई समस्याएं दूर हो जाएंगी।सादर नमन व आभार।
Comment by jyotsna Kapil on July 14, 2015 at 9:47pm
कथा को पसन्द करने एवम सराहना करने हेतु हृदय से आभारी हूँ आ. प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी ।आप वरिष्ठ लोगों के मध्य बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 14, 2015 at 1:39pm

बहुत बढ़िया लघुकथा आदरणीया ज्योत्स्ना जी, इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by विनय कुमार on July 14, 2015 at 12:50pm

बढ़िया लघुकथा आदरणीया ज्योत्स्ना जी , माँ बाप के लिए कहाँ सोचते हैं कुछ लोग आजकल.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on July 14, 2015 at 11:43am

घर में सौगात में आये मिठाई के डिब्बों का ढेर मानो उसे मुँह चिढ़ा रहा था।

सुन्दर कथा , सादर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"पुनः आऊंगा माँ  ------------------ चलती रहेंगी साँसें तेरे गीत गुनगुनाऊंगा माँ , बूँद-बूँद…"
37 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"एक ग़ज़ल २२   २२   २२   २२   २२   …"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
16 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
16 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service