For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुमनाम होता बचपन (लघुकथा)

प्रकाशक को उपन्यास की पाण्डुलिपि थमाकर लौटी, तो आज उसका मन फूल सा हल्का हो गया। पूरे छः माह की मेहनत साकार हुई थी।पुस्तक विमोचन, सम्मान,रॉयल्टी प्रसिद्धि ये सब बारी -2 से उसकी आँखों में कौंध गए। घर पहुंची तो देखा पाँच वर्षीय बेटा बड़ी बहन की गोद में सो रहा था।उसकी आँखों में सूखे अश्रु चिन्ह,तप्त शरीर,तोड़े मरोड़े गए खिलौने,अधूरा होमवर्क,डायरी में टीचर की शिकायत ।

उफ़...ये क्या कर बैठी मैं ? अपनी महत्वाकांक्षा में अपने बच्चे के बचपन को ही गुमनामी के अंधेरों में धकेल दिया।

ज्योत्स्ना !!
( मौलिक एवम् अप्रकाशित )

Views: 667

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 9, 2015 at 1:36am

सिद्धसिद्धौ निर्विकारः .. समत्वं योग उच्यते..

इस निभाते हुए कई दायित्वों को निभाना होता है. प्रस्तुति केलिए हार्दिक शुभकामनाएँ

Comment by jyotsna Kapil on July 7, 2015 at 10:42pm
आदरणीय महाऋषि त्रिपाठी जी एवम् आदरणीय विजय निकोर जी आपकी तारीफ का एक एक शब्द मेरे लिए अनमोल है।आपको सादर नमन एवम् आभार।
Comment by jyotsna Kapil on July 7, 2015 at 10:39pm
आदरणीय कांता रॉय जी एवम् आदरणीय सीमा सिंह जी आपको सादर नमन एवम् आभार मेरी कथा की सराहना करने और मेरा उत्साह बढ़ाने हेतु।
Comment by jyotsna Kapil on July 7, 2015 at 10:37pm
बहुत आभार एवम् सादर नमन आदरणीय विनय सिंह जी कथा को पसन्द करने हेतु।आपकी सराहना ने मेरा लेखन सफल कर दिया।
Comment by vijay nikore on July 6, 2015 at 2:52am

कम शब्दों में सुन्दर संदेश देने में आपकी लघु कथा सफ़ल हुई है। हार्दिक बधाई, आदरणीया ज्योत्सना जी।

Comment by maharshi tripathi on July 5, 2015 at 10:02pm

बहुत सटीक वार किया है आपने ,,आजकल लोग ,,पैसे से जितना लगाव रखते हैं उतना खुद के संतान से भी नही ,,ऐसे बच्चों का बचपन गुमनाम हो जाता है ,,,एक बेहतरीन सन्देश देती लघुकथा पर आपको बधाई |

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on July 4, 2015 at 9:54pm

बहुत ही बेहतरीन लघुकथा! आपकी लघुकथा ने ऐसे अनछुए पहलू  को छुआ है जो मेरे ख्याल से हर महत्वाकांक्षी व्यक्ति के जीवन में आती ही है क्युकी जूनून और आत्ममुघ्धता में उसे और दुनिया बस फौरी तौर से जीन ही पड़ता हैं...जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए सब काम को सुनोयोजित तरीके से करना बेहद जरूरी होता है..पर मेरे ख्याल से खासतौर पे रचनाकार के लिए रिदम या लय में लिखना बहुत जरूरी होता है, और इसे बरकरार रखने के लिए अन्य चीजों को अवहेलना करनी ही पड़ती है!..हालांकि  सामंजस्य बैठना बहुत जरूरी है खासकर जब ऐसा महत्वपूर्ण मुद्दा हो!

आपको तहदिल से बहुत बहुत बधाई आ० इस लाजव़ाब लघुकथा के लिए!

Comment by Seema Singh on July 4, 2015 at 5:32am
स्त्री का जीवन कठिन डगर है जिस पर सामंजस्य बैठकर चलना ही एक बड़ी कला है ।ज़रा सी चूक पछतावे का कारण बन जाती है । बधाई आपको इसी भाव का सफल चित्रण करने की ज्योत्सना जी..
Comment by kanta roy on July 3, 2015 at 7:31pm
जीवन को सुचारु रूप से चलाने के लिए सब काम को सुनोयोजित तरीके से करना बेहद जरूरी होता है । बहुत ही सार्थक संदेश के साथ बढिया लघुकथा ज्योत्सना जी ... बधाई
Comment by विनय कुमार on July 3, 2015 at 12:32pm

सुन्दर लघुकथा हुई है आदरणीया ज्योत्स्ना जी | कहीं न कहीं संतुलन बनाना जरुरी है , बधाई इस लघुकथा के लिए ..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
13 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service