For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वो खोया बच्चा

घर  से  बाहर  जिसे  मैं ,

दर दर  ढूँढता  फिरा 

वो  बच्चा,

 मेरे  ही घर में  छिपकर 

मेरी  बौखलाहट पे ,

हँसता   रहा I

मै रहा  देहरियाँ  चूमता ,

मज्जिद  बुतखाने  की

मेरे दर पे बैठा वो ,

राह तकता  रहा 

मेरे  घर  लौट  आने की I

ढली  शाम ,  खाली   हाथ 

अब मैं  हूँ  लौट आया ,

किया  ढूँढने में  जिसे  

सारा  दिन जाया 

हाय , घर के अन्दर उसे

 मुस्कुराते पाया I

पर  अब थक  गया हूँ  

उसके साथ,

, कहाँ खेल  पाऊँगा 

बस  उसे  देखते  देखते

 यूं  ही सो  जाऊँगा I      

 मौलिक  व् अप्रकाशित  

 

 

Views: 688

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pratibha pande on July 16, 2015 at 7:38pm

 आपकी  प्रतिक्रियाएं  सदा ही  उत्साहित  करती हैं ,  हार्दिक  आभार  आ० मिथिलेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 2:12pm

बहुत ही भावपूर्ण रचना. अपने घर में ही है उसका वास और उसे ताउम्र यहाँ वहां ढूंढते रहे और जब तक पता चला बहुत देर हो गई..... चिर निंद्रा में सोने का समय आ गया. घर और बच्चे के प्रतीकों से बहुत गहन भावना शाब्दिक हुई है. प्रतीकों का सहज प्रयोग मुग्ध कर रहा है, रचना कहीं भी असहज नहीं हुई. पाठक तक रचना का सहज सम्प्रेषण ही इसकी बड़ी विशेषता है. इस बेहतरीन रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया प्रतिभा जी 

Comment by pratibha pande on July 16, 2015 at 9:11am

सराहना  के  लिए  धन्यावाद  ज्योत्स्ना कपिल जी 

Comment by pratibha pande on July 16, 2015 at 9:09am

आ०  विनय  कुमार जी ,  रचना  की  सराहना  के लिए  तहे दिल से आभार 

Comment by pratibha pande on July 16, 2015 at 9:02am

मेरे  इस छोटे से खोये  बच्चे  को  आपने  पहचाना   , धन्यवाद  कांता रॉय जी 

Comment by pratibha pande on July 16, 2015 at 8:58am

आ०  मोहन सेठी जी ,  आपको  रचना  अच्छी  लगी  ,मेरा  सौभाग्य    आपका  हार्दिक  आभार 

Comment by jyotsna Kapil on July 15, 2015 at 10:09pm
बहुत ही सुंदर एवम् भावपूर्ण रचना आ.प्रतिभा पाण्डेय जी।
Comment by विनय कुमार on July 15, 2015 at 8:09pm

बहुत सुन्दर कविता , ये तो खुशियां हैं जिन्हे हम दर दर ढूंढते हैं लेकिन मिलती अपने अंदर ही हैं | बधाई इस रचना के लिए..

Comment by kanta roy on July 15, 2015 at 5:40pm
बहुत खूब लिखा हैै आपने यह छोटा सा बच्चा ..... बधाई आपको इस सुंदरतम रचना के लिए आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी
Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on July 15, 2015 at 4:59pm

वाह बहुत सुंदर शब्द है गहरे भाव लिये .....न जाने कहाँ कहाँ ढूंडा और जब मिला तो वक़्त ही ना रहा  ....हार्दिक बधाई इस रचना के लिये ....सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ सर,इस मंच पर साहित्यिक विमर्श की परंपरा रही है जिस से मेरे जैसे कई छात्र पिछले १०-११…"
13 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सादर नमस्कार, लाइव मुशायरे के दौरान मैं उपस्थित नहीं हो सका था, किंतु यदि वहां ओ बी ओ की परम्परा के…"
18 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय तिलक राज भाई , ओबीओ मंच  की मूल भावना को फिर से ताज़ा करने के लिए आभार आपका | आपकी…"
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"ओ बी ओ  टीम प्रबंधन  के सभी आदरणीय  सदस्यों  को मेरा सादर…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर, इस पोस्ट की बहुत ज़रूरत थी। आपका हार्दिक आभार जो आपने स्पष्ट शब्दों में…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय तिलकराज कपूर सर, ओबीओ की मूल भावना को शब्द देने के लि हार्दिक आभार। वाकई एक व्यक्ति विशेष ने…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी सदस्यों को यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि यह पटल एक व्यवस्था है, व्यक्ति नहीं और किसी…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale posted a blog post

मनहरण घनाक्षरी

रिश्तों का विशाल रूप, पूर्ण चन्द्र का स्वरूप,छाँव धूप नूर-ज़ार, प्यार होतीं बेटियाँ।वंश  के  विराट…See More
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा षष्ठक. . . . आतंक

दोहा षष्ठक. . . .  आतंकवहशी दरिन्दे क्या जानें , क्या होता सिन्दूर ।जिसे मिटाया था किसी ,  आँखों का…See More
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"स्वागतम"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a discussion

पटल पर सदस्य-विशेष का भाषयी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178 के आयोजन के क्रम में विषय से परे कुछ ऐसे बिन्दुओं को लेकर हुई…See More
13 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service