For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेज़ है दुनिया की निगाह बहुत-ग़ज़ल

2122 1212 112/22
सर्द है आज मेरी आह बहुत
फिर उठी दिल में तेरी चाह बहुत

खुदनुमाई से बाज़ आ नादाँ
तेज़ है दुनिया की निगाह बहुत

तोड़ना दिल किसी का क्या मुश्किल
हाँ कठिन इश्क़ की है राह बहुत

सोच उनकी है साइलों जैसी
पर बने फिरते हैं वो शाह बहुत

हश्र के रोज़ देख लेना तुम्हें
याद आयेगा हर गुनाह बहुत

मौलिक,अप्रकाशित

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 9, 2015 at 8:20pm

ऐसी सोच और फ़िक्र को सलाम --  

सोच उनकी है साइलों जैसी
पर बने फिरते हैं वो शाह बहुत

हश्र के रोज़ देख लेना तुम्हें
याद आयेगा हर गुनाह बहुत

वाह ! बहुत खूब !!

Comment by वीनस केसरी on June 4, 2015 at 1:20pm

सोच उनकी है साइलों जैसी
पर बने फिरते हैं वो शाह बहुत

वाह वा बहुत खूब

Comment by shree suneel on June 4, 2015 at 8:59am
खुदनुमाई से बाज़ आ नादाँ
तेज़ है दुनिया की निगाह बहुत.. . वाह!!
सर्द है आज मेरी आह बहुत
फिर उठी दिल में तेरी चाह बहुत... ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई आपको आदरणीय.
Comment by Samar kabeer on June 4, 2015 at 12:01am
जनाब शिज्जु "शकूर" जी,आदाब,

"इतनी अच्छी ग़ज़ल कही तुमने
दिल से निकली है वाह वाह बहुत"

मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 3, 2015 at 10:39pm

बेहतरीन गजल! दिल से ढेरों दाद पेश है आ० शिज्जू सर!

सादर!

Comment by मनोज अहसास on June 3, 2015 at 10:31pm
बेहतरीन
शुक्रिया साझा करने के लिये
सादर
Comment by maharshi tripathi on June 3, 2015 at 10:17pm

तोड़ना दिल किसी का क्या मुश्किल
हाँ कठिन इश्क़ की है राह बहुत,,,,,,,,,,,,,वाह बढ़िया आ. शिज्जु "शकूर" जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service