For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अदालत ने मेरा क़ातिल मुझे ठहरा दिया साहिब

1222 1222 1222 1222
---------------------------------------
मुहब्बत है कभी जिसने मुझे कहला दिया साहिब
मगर फिर घाव उसने ही बहुत गहरा दिया साहिब 

जरूरत ही नहीं होती मुहब्बत में व़फाओं की 
के बच्चों की तरह उसने मुझे बहला दिया साहिब

सड़क पर भूख से बेचैन माँ आँसू बहाती है
निवाला बेटे को जिसने ,कभी पहला दिया साहिब
 
मुहब्बत मिट नहीं पायी दीवारों में चुनी फिर भी
रक़ीबों ने जमाने से बहुत पहरा दिया साहिब

बहुत छेड़ा है दुनिया ने खुदा की पाक धरती को
हिली धरती मगर ऐसी जहां दहला दिया साहिब

अभी तक भी मेरे दिल में कहीं महफूज बहती है
नदी है वो मगर उसने मुझे सहरा दिया साहिब

कहाँ तक ढूँढ़ती फिरती ,अदालत भी मेरा कातिल
अदालत ने मेरा कातिल , मुझे ठहरा दिया साहिब

मौलिक व अप्रकाशित 
उमेश कटारा

Views: 553

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by umesh katara on May 23, 2015 at 6:22pm

शुक्रिया Samar kabeer जी ..

Comment by umesh katara on May 22, 2015 at 8:35am
शुक्रिया डा गोपाल नारायन जी ..
Comment by umesh katara on May 22, 2015 at 8:28am
shukriya krishna mishra ji
Comment by umesh katara on May 22, 2015 at 8:27am
शुक्रिया श्री suneelji
Comment by umesh katara on May 22, 2015 at 8:26am
शुक्रिया वीनस केसरी जी
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 21, 2015 at 11:47pm

क्या बात है आ० उमेश सर!छा गए!मजा आ गया! बेहतरीन गजल पर हार्दिक बधाई व् शुभकामनाए!

Comment by shree suneel on May 21, 2015 at 3:01pm
सड़क पर भूख से बेचैन माँ आँसू बहाती है
निवाला बेटे को जिसने ,कभी पहला दिया साहिब.. उम्दा शे'र
ख़ूबसूरत ग़ज़ल आदरणीय. बधाई.. बधाई..
Comment by वीनस केसरी on May 21, 2015 at 11:25am

बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है ... मुबारकबाद

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 21, 2015 at 11:13am

कहाँ तक ढूँढ़ती फिरती ,अदालत भी मेरा कातिल
अदालत ने मेरा कातिल , मुझे ठहरा दिया साहिब    -------------- कटारा जी . बल्ले बल्ले  .

Comment by Samar kabeer on May 21, 2015 at 11:00am
जनाब उमेश कटारा जी,आदाब,इस कामयाब ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं।

"कहाँ तक ढूँढ़ती फिरती ,अदालत भी मेरा कातिल
अदालत ने मेरा कातिल , मुझे ठहरा दिया साहिब"

आपका यह शैर सुनकर डॉ राहत इन्दोरी का शैर याद आ गया :-

"अब कहाँ ढूँढने जाओगे हमारे क़ातिल
आप तो क़त्ल का इलज़ाम हमीं पर रख दो"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- झूठ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति और प्रशंसा से लेखन सफल हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . पतंग
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार आदरणीय "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय सौरभ जी सृजन के भावों को मान देने एवं सुझाव का का दिल से आभार आदरणीय जी । "
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . जीत - हार
"आदरणीय सौरभ जी सृजन पर आपकी समीक्षात्मक प्रतिक्रिया एवं अमूल्य सुझावों का दिल से आभार आदरणीय जी ।…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गीत रचा है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। सुंदर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ। सादर "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"दोहो *** मित्र ढूँढता कौन  है, मौसम  के अनुरूप हर मौसम में चाहिए, इस जीवन को धूप।। *…"
Monday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-171
"  आदरणीय सुशील सरना साहब सादर, सुंदर दोहे हैं किन्तु प्रदत्त विषय अनुकूल नहीं है. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service