For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बैसाखी की सबको शुभकामनाये (दस माहिया)

 बैसाखी  की  सबको शुभकामनाये

 (दस माहिया)

(१)

कोठे पे वो पाखी

नाच रहा देखो

अज आई बैसाखी 

 

(२)

गेहुओं की बालियाँ

फसल कटी देखो

नच पीट के तालियाँ

 

(३)

नच लें औ गायें हम  

आई बैशाखी

नव वर्ष मनाएँ हम 

 

(४)

करो तन मन चंगा जी

आज धरा पर खुद

उतरी थी गंगा जी

( ५ )

गुरु गोविंद सिंह हुए

बना खालसा पन्थ

जग में मशहूर हुए

 

(६  )

तोड़ा गुलामी  रिंग

रूढ़ीवाद मिटा  

बना निर्बल को  सिंह

 

(७)

अमृतसर या काँगड़ा

नच पंजाब रहा

गिद्दा और भाँगड़ा 

 

(८)

लम्हे न्यारे न्यारे

शबद औ कीर्तन से

सम्मानित पञ्च प्यारे

 

(९ )

केरल भी मनाता है

दिन बैसाखी  का

वहाँ ‘विशु’ कहलाता है   

 

(१०)

रब दूर करेगा गम

दिन है खुशियों का

मिलजुल के मना लें हम

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

 

Views: 970

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 3, 2015 at 8:15am

हार्दिक धन्यवाद आ० सुरेन्द्र कुमार भ्रमर जी .

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 30, 2015 at 11:18am

सुन्दर माहिया और सीख भी

जय  श्री राधे
भ्रमर ५


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2015 at 10:09pm

आ० डॉ० गोपाल भाई जी ,  आपको माहिया पसंद आये मेरा लिखना सफल हुआ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2015 at 10:08pm

आ० गणेश जी ,आपको माहिया पसंद आये मेरा लिखना सफल हुआ |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 15, 2015 at 10:08pm

प्रिय निधि जी ,आपको माहिया पसंद आये बहुत बहुत शुक्रिया ,आपको इस विधा की जानकारी ओबिओ पर ही छंद समूह में मिल जायेगी ,आपके संशय का उत्तर आ० योगराज जी ने सोदाहरण दे ही दिया ,कई पिक्चर्स में माहिया आ चूका  है |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 15, 2015 at 4:52pm

आ० दीदी

बहुत सुन्दर और बैसाखी को रूपयित करते चुटीले माहिया  i  सादर .


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2015 at 4:59pm

वाह वाह सभी माहिया एक से बढ़कर एक, आपको भी वैशाखी की लख लख बधाईयाँ आदरणीया राजेश जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on April 14, 2015 at 3:13pm

क्या ये फ़िल्मी गीत कभी सुने हैं निधि अग्रवाल जी ?

रेशम की डोरी
कहाँ जइहो निंदिया
चुरा के चोरी चोरी

कोठे ते काँ बोले
उस दिन को देखूँ
जिस दिन तू हाँ बोले

ये है माहिया।

Comment by Nidhi Agrawal on April 14, 2015 at 2:44pm

आदरणीय राजेश जी .. सुन्दर लेखन है आपका... माहिया कभी सुने नहीं है इसलिए इस विधा का पता नहीं है 

पढ़कर तो बहुत अच्छा लगा 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 14, 2015 at 10:52am

आ० श्री सुनील जी,आपको माहिया पसंद आया बहुत- बहुत शुक्रिया.  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
17 minutes ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
17 minutes ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service