For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अस्थियाँ चटकीं थीं तेरी कलाई की,
मुझसे हाँथ मिलाते हुए.

इसे समझी थी तुम, शायद,
मेरी शरारत, और,
मैं क्या समझा था, मुझे कुछ याद नही.

और अब- जबकि उसके बाद,
तुम आज तक न मिल सकी ,
सोचता हूँ - -

अस्थियों की वो चटक,
क्या एक प्रहेलिका थी
जिसका अर्थ था-
रिश्ते का 'फाइनल कट्'.

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 873

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shree suneel on April 1, 2015 at 7:35pm
आदरणीय सौरभ पांडे सर, मेरी रचना पर आपकी बहुत हीं महत्वपूर्ण टिप्पणी आई है. निश्चित रूप से मैं आपके दृष्टिकोण को समझने की कोशिश करूंगा. आपने मेरी रचना पर समय दिया इसके लिए धन्यवाद. आशा है आगे भी आपका मार्ग दर्शन मुझे प्राप्त होता रहेगा. सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 1, 2015 at 6:11pm

खेद है, कि इस रचना पर आदरणीय गोपाल नारायन जी की टिप्पणी के अलावा सारी टिप्पणियाँ भ्रामक हैं. ऐसी टिप्पणियाँ किसी नवोदित को कोई रास्ता नहीं दिखातीं.

अस्थियों के चटकने में और उंगलियों के चटकने में जो स्पष्ट अंतर है, क्या उसकी ओर किसी का ध्यान नहीं गया ?
किसी रचनाकार के प्रथम प्रयास को मिला उत्साहवर्द्धन अधिक विन्दुवत होता यदि उसे तार्किक टिप्पणियों के माध्यम से समझाया जाये.

भाई श्री सुनीलजी आप रचनारत रहें..
शुभेच्छाएँ.

Comment by shree suneel on April 1, 2015 at 1:25pm
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर, प्रस्तुति की सराहना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद. सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on April 1, 2015 at 11:00am
क्या एक प्रहेलिका थी, सुन्दर प्रस्तुति है, बधाई , आदरणीय श्री सुनील जी , सादर।
Comment by shree suneel on April 1, 2015 at 10:09am
आ० जितेन्द्र जी, उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद. सादर
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on April 1, 2015 at 8:51am

सुंदर प्रस्तुति आदरणीय सुनील जी. हार्दिक बधाई

Comment by shree suneel on April 1, 2015 at 12:40am
बहुत - बहुत धन्यवाद आदरणीय हरि प्रकाश जी इस प्रोत्साहन के लिए. सादर
Comment by Hari Prakash Dubey on March 31, 2015 at 11:33pm

आदरणीय  श्रीयुत  श्री सुनील जी ,सुंदर प्रस्तुति ,बधाई प्रेषित !

Comment by shree suneel on March 31, 2015 at 9:30pm
आदरणीय सुशील सरन सर, आपको पंक्तियाँ अच्छी लगीं, मेरा प्रयास सफल हुआ. सादर.
Comment by Sushil Sarna on March 31, 2015 at 8:50pm

अस्थियों की वो चटक,
क्या एक प्रहेलिका थी
जिसका अर्थ था-
रिश्ते का 'फाइनल कट्'.

बहुत सुंदर प्रस्तुति दी है आपने आदरणीय , हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आदरणीय नीलेश भाई , खूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (जो उठते धुएँ को ही पहचान लेते)
"आदरणीय बाग़पतवी भाई , बेहतरीन ग़ज़ल कही , हर एक शेर के लिए बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । आपके द्वारा  इंगित…"
6 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi commented on Mayank Kumar Dwivedi's blog post ग़ज़ल
"सादर प्रणाम आप सभी सम्मानित श्रेष्ठ मनीषियों को 🙏 धन्यवाद sir जी मै कोशिश करुँगा आगे से ध्यान रखूँ…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम -. . . . . शाश्वत सत्य
"आदरणीय सुशील सरना सर, सर्वप्रथम दोहावली के लिए बधाई, जा वन पर केंद्रित अच्छे दोहे हुए हैं। एक-दो…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सुशील सरना जी उत्सावर्धक शब्दों के लिए आपका बहुत शुक्रिया"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय निलेश भाई, ग़ज़ल को समय देने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया। आपके फोन का इंतज़ार है।"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"मोहतरम अमीरुद्दीन अमीर 'बागपतवी' साहिब बहुत शुक्रिया। उस शे'र में 'उतरना'…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर,ग़ज़ल पर विस्तृत टिप्पणी एवं सुझावों के लिए हार्दिक आभार। आपकी प्रतिक्रिया हमेशा…"
10 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, ग़ज़ल को समय देने एवं उत्साहवर्धक टिप्पणी के लिए आपका हार्दिक आभार"
10 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा

आँखों की बीनाई जैसा वो चेहरा पुरवाई जैसा. . तेरा होना क्यूँ लगता है गर्मी में अमराई जैसा. . तेरे…See More
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service