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कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं

१२२२     १२२२     १२२२  १२२२

इशारों को शरारत ही कहूं या प्यार ही समझूं 

कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं 

कशिश बातों में तेरी अब अजब सी मुझ को लगती है 

तेरी बातों को बातें ही या फिर इकरार ही समझूं 

वो डर के भेडियों से आज मेरे पास आये हैं 

कहूं हालात इसको या कि मैं ऐतवार ही समझूं 

तेरी नजरों ने कैसी आग सीने में लगाई है 

तुझे कातिल कहूं मैं या इसे उपकार ही समझूं 

पड़े ओंठों पे ताले पलकें उठती और गिरती हैं 

ये मेरी जीत है या इस को अपनी हार ही समझूं 

नहीं खिड़की पे आती आजकल क्या बात है बोलो 

यूं शर्माती हो तुम या मैं इसे इनकार ही समझूं 

है पिघली बर्फ दिल की आँख से आंसू लगे बहने 

सहेजूँ इनको मोती मान या बेकार ही समझूं 

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 27, 2015 at 2:48pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी ..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 27, 2015 at 2:48pm

आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से में उत्साहित हूँ ..स्नेह यूं ही मिलता रही ऐसी कामना के साथ सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on March 26, 2015 at 9:36am

आदरणीय डॉक्टर आशुतोष मिश्र जी , सुन्दर ग़ज़ल है ,हार्दिक बधाई ! सादर 

इशारों को शरारत ही कहूं या प्यार ही समझूं 

कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं ...वाह 

तेरी नजरों ने कैसी आग सीने में लगाई है 

तुझे कातिल कहूं मैं या इसे उपकार ही समझूं ....खूबसूरत 


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Comment by गिरिराज भंडारी on March 25, 2015 at 10:41pm

आदरनीय आशुतोष भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

है पिघली बर्फ दिल की आँख से आंसू लगे बहने 

सहेजूँ इनको मोती मान या बेकार ही समझूं ---------- बहुत खूब !! बधाई आदरणीय ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:21pm

आदरणीय सोमेश जी ..आपके उत्साहवर्धक शब्दों के लिए  तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:21pm

आदरणीय उमेश जी ..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:20pm

आदरणीय कृष्णा जी ..रचना आपको पसंद आयी यह मेरे प्रयास को सार्थकता प्रदान करता है सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:19pm

आदरणीय विजय सर..आप से मुझे सदैव हौसला मिलता है ..बस आपका स्नेह यूं ही मिलता रहे इस कामना के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:18pm

आदरणीय मिथिलेश जी ..आपकी प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..ऐत वार पर शायद गलती है ..आपके परामर्श के अनुरूप फिर से संसोधन करूंगा . आपसे अनुरोध है कोई भी गलती मिले तो आप जरूर बताएं ताकि सुधर किया जा सके ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 25, 2015 at 12:15pm

आदरणीया अंजू जी ..आपसबका प्रोत्साहन बस यूं ही मिलता रहे ..इसी कामना के साथ सादर 

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