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ग़ज़ल -- हमसफ़र निकलते हैं .. (बराए इस्लाह)

212-1222-212-1222

ख़्वाब मेरी आँखों से रात भर निकलते हैं
रहगुज़र नहीं आसाँ बा ख़बर निकलते हैं

बेचने ज़मीर अपना हम चले हैं गलियों में
देखो खिड़कियों से अब कितने सर निकलते हैं

नातवाँ बहादुर को दे रहा चुनौती है
चींटियों के भी अब तो बाल-ओ-पर निकलते हैं

दिल हमारा आईना आप हैं खरे पत्थर
बज़्म आपकी और हम टूट कर निकलते हैं

मैक़दे कहाँ करते, फ़र्क रिन्दो-वाइज़ का
जो भी पीते हैं मदिरा झूम कर निकलते हैं

बिन किसी विभीषण के ढहती है कहाँ लंका
साज़िशों में कुछ अपने मोतबर निकलते हैं

आख़िरत में क्या होगा हम अभी से क्यूँ सोचें
सोच कर यही घर से हमसफ़र निकलते हैं

ये ग़ज़ल मुरस्सा हो चाहता था मैं लेकिन
जल्दबाज़ी में मुझसे कब गुहर निकलते हैं

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मौलिक व अप्रकाशित © दिनेश कुमार
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Comment

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Comment by दिनेश कुमार on March 22, 2015 at 11:37pm
बहुत बहुत आभारी हूँ आदरणीय शिज्जू भाई जी, आप की सराहना मेरा बहुत हौसला बढ़ाती है।
मेरा ज्ञान बहुत सतही और सीमित है। Internet पर उपलब्ध जानकारी के माध्यम से ही अभी बह्र की abc सीखने की प्रक्रिया में हूँ। कहीं लिखा हुआ था कि कुछ बह्र के मध्य में compulsory stoppage आता है, तब हम एक अतिरिक्त लघु की छूट ले सकते हैं। जैसे - हम तो चलते अपने गाम // अपनी राम राम राम .. । और दूसरी बात कि ग़ज़ल गाने के दौरान मात्रा गिराने का बिल्कुल भी आभास नहीं हो रहा। हो सकता है मैं गलती पर हूँ।
वाइज़ के बारे में पता नहीं क्यों मुझे लगता है कि शायद मैंने ठीक लिखा हो। कल दोबारा सोचता हूँ भाई शिज्जू जी। पुनः आभार। स्नेह बनाए रखिएगा।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 22, 2015 at 9:08pm

आदरणीय दिनेश कुमार जी आपकी इस ग़ज़ल के कुछ अश'आर कहन के हवाले से प्रभावित करते हैं जैसे-
बिन किसी विभीषण के ढहती है कहाँ लंका
साज़िशों में कुछ अपने मोतबर निकलते हैं

आख़िरत में क्या होगा हम अभी से क्यूँ सोचें
सोच कर यही घर से हमसफ़र निकलते हैं
इनके लिये दाद कुबूल करें

कुछ जगह मैं आपका ध्यान ज़रूर आकर्षित करना चाहूँगा जैसे मतले में अश'आर का वज्न आपने 22 लिया यहाँ मात्रा गिराना क्या सही है ज़रा देख लें।
दूसरे, रवायती ग़ज़लों में वाइज़ का उल्लेख धर्मोपदेशक के रूप में किया गया है जिसे नापसंद किया जाता है मगर वाइज़ का शराब पीना एक विरोधाभास पैदा कर रहा है। इसी शे'र में भी वही गलती है जो मतले के ऊला में है। यदि इस बह्र में आपने एक अतिरिक्त लघु लिया है तो क्या वो अर्कान के बीच में लेना सही है? ज़रा देख लें।

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