For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इस जिस्म में अब पंख लगाना ही पड़ेगा

२२१२ २२११ २२१ १२२

अब हाले दिल ये उनको सुनाना ही पड़ेगा

लगता है अपने ओंठ हिलाना ही पड़ेगा

छत पे खड़े हैं आज वो ऊंचे मकान की 

इस जिस्म में अब पंख लगाना ही पड़ेगा 

लौटे हैं कितने रिंद उन्हें मान के पत्थर 

जल्वा- ग़ज़ल का उनको दिखाना ही पड़ेगा 

छुप छुप के देखें आह भरें होगा न हमसे  

नजरों के तीखे तीर चलाना ही पड़ेगा 

ग़ज़लों पे रखिये आप यकी आज भी अपनी 

जलता हुआ दिल ले उन्हें आना ही पड़ेगा 

जिस दौर में ओंठो पे यकी होता नहीं है 

उसमे जिगर भी चीर दिखाना ही पड़ेगा 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 651

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2015 at 5:09pm

आदरणीय आशुतोष भाई , अच्छी गज़ल हुई है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ॥

जिस दौर में ओंठो पे यकी होता नहीं है 

उसमे जिगर भी चीर दिखाना ही पड़ेगा  --- बहुत सुन्दर !! बधाई आदरणीय ॥

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 3, 2015 at 4:31pm

आदरणीय विजय सर ...आप के उत्साहित करने वाले शब्दों से मुझे रचना धर्मिता की नूतन उर्जा मिलती है ..आपका स्नेह यूं ही मिलता रहे इस कामना के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 3, 2015 at 4:29pm

आदरणीय हरी प्रकाश जी ..आपका स्नेह बस यूं ही सदैव मिलता रहे इसी कामना के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 3, 2015 at 4:28pm

आदरणीय मिथिलेश जी ...उत्साहवर्धन के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद ..सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 3, 2015 at 4:26pm

आदरणीय महर्षि जी ..रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 3, 2015 at 4:26pm

आदरणीय गोपाल सर ..इस गलती पर मेरा ध्यान भी गया था लेकिन ठीक करना भूल गया ..आपके मार्गदर्शन और स्नेह के लिए हार्दिक धन्यवाद  सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 3, 2015 at 4:21pm

आदरणीय श्याम नारायण जी ..रचना आपको पसंद आयी इससे मुझे नूतन उर्जा मिलती है हादिक धन्यवाद के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 3, 2015 at 4:20pm

आदरणीय कृष्णा जी ..रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 26, 2015 at 11:33pm
आदरणीय डॉ O आशुतोष मिश्रा जी , मन भावक प्रस्तुति, बधाई , सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on February 26, 2015 at 9:05pm

आदरणीय डॉक्टर आशुतोष मिश्रा जी सुन्दर ग़ज़ल 

छत पे खड़े हैं आज वो ऊंचे मकान की 

इस जिस्म में अब पंख लगाना ही पड़ेगा....सुन्दर , बधाई आपको !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कुछ हो मत हो नेता दिख -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
17 minutes ago
Sushil Sarna commented on Dr. Vijai Shanker's blog post सत्य और झूठ -- डॉ० विजय शंकर
"वाह आदरणीय जी सच और झूठ की बहुत सुंदर व्याख्या की है आपने ।हार्दिक बधाई सर"
18 minutes ago
Sushil Sarna commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा गज़ल
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है, शेर दर शेर मुबारक कबूल करें सर"
20 minutes ago
Sushil Sarna commented on Usha Awasthi's blog post मन नहीं है
"अन्तस भावों की सहज अभिव्यक्ति आदरणीया जी । हार्दिक बधाई"
23 minutes ago
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post मन नहीं है
"आदरणीय डा0 विजय शंकर जी,रचना अच्छी लगी, जानकर खुशी हुई। हार्दिक आभार आपका,सादर। "
8 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Usha Awasthi's blog post मन नहीं है
"आदरणीय उषा अवस्थी जी , रचना अछी है। हाँ , यह भी कहा जाता है कि कभी कभी कुछ लिखना हम लोगों की विवशता…"
11 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Dr. Vijai Shanker's blog post सत्य और झूठ -- डॉ० विजय शंकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आभार , सादर।"
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

मधुमालती छंद. . . .

मधुमालती छंद ....1डर कर कभी, रोना नहीं ।विश्वास को, खोना  नहीं ।तूफान   में, सोना  नहीं ।नफरत कभी ,…See More
18 hours ago
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 (विषय: आरंभ)

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-102 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। इस बार…See More
18 hours ago
Usha Awasthi shared their blog post on Facebook
yesterday
Usha Awasthi posted a blog post

मन नहीं है

मन नहीं हैउषा अवस्थीअब कुछ भी लिखने का, मन नहीं है क्या कहें ? साहित्य के नाम परचलाए जा रहे व्यापार…See More
yesterday
Balram Dhakar posted a blog post

ग़ज़ल : बलराम धाकड़ (पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं।)

22 22 22 22 22 2 पाँव कब्र में जो लटकाकर बैठे हैं।उनके मन में भी सौ अजगर बैठे हैं। 'ए' की बेटी,…See More
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service