For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आम्र मंजरी झूमती ,मादक महके बाग

-हर्षित कोयल कूकती,बौराया सा काग ।

 

बाबा देवर बन गए, फागुन में वो बात

ललचाये हर बाल मन,रंगों की बारात ।

 

नई कोपलें भर रहीं,जीवन में मकरंद

लहक रही मद कामनी,उर में भर आनंद ।

 

लाल टिकुलिया चाँद सी,कजरारे से नैन

बतियाने पनघट लगे ,फागुन गाती रैन ॥    

मौलिक व अप्रकाशित 

कल्पना मिश्रा बाजपेई 

Views: 664

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by khursheed khairadi on February 25, 2015 at 9:53am

आदरणीया कल्पना जी ,सुन्दर दोहावली हेतु हार्दिक आभार ,सादर अभिनन्दन |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 24, 2015 at 11:59pm
लाल टिकुलिया चाँद सी, तारों से दो नैन।
बतियाते पनघट नदी, फागुन गाती रैन।।
.
आदरणीया कल्पना जी सुन्दर दोहावली पर हार्दिक बधाई निवेदित है।
Comment by maharshi tripathi on February 24, 2015 at 10:32pm

सुन्दर दोहों के लिए आपको बधाई आ.कल्पना जी |

Comment by kalpna mishra bajpai on February 24, 2015 at 6:51pm

आ०Shyam Narain Verma सर आभार /सादर  

Comment by kalpna mishra bajpai on February 24, 2015 at 6:51pm

आ ० डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर आप की सराहना और सलाह के लिए मैं तहे दिल से आभारी हूँ /सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on February 24, 2015 at 12:49pm
सुंदर दोहों की बधाई, पूरे मन से ॥
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 24, 2015 at 12:09pm

आ० बाजपेयी जी

बहुत भावपूर्ण दोहे है i शिल्प में थोडा सा बिखराव है i  मैं कुछ कोशिश करता हूँ -

आम्र मंजरी झूमती ,मादक महके बाग

कोयल कूक हर्षित हुई,बौराया सा काग ।-------हर्षित कोयल कूकती

 

बाबा देवर बन गए, फागुन में वो बात

ललचाये हर बाल मन,रंगों की बारात ।------------------- अति सुन्दर

 

नई कोपलें भर रहीं,जीवन में मकरंद

लहक रही मद कामनी,जियरा भर आनंद ।------------लहक रही मद कामिनी  उर में भर आनंद

 

लाल टिकुलीया चाँद सी,कजरारे से नैन-----------टिकुलिया

बतियाने पनघट लगे ,फागुन गाती रैन ॥    

 फिलहाल सुन्दर प्रयास i आपको बधाई i सादर i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service