For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तूने व्यर्थ नयन छलकाये हैं…

तूने व्यर्थ नयन छलकाये हैं…

राही प्रेम पगडंडी पर
क्योँ तूने कदम बढाये हैं
हर कदम पर देते धोखे
छलिया हुस्न के साये हैं
तेरे निश्छल भाव को समझें
किसके पास ये फुर्सत है
पल भर में ये अपने हैं
अगले ही पल पराये हैं
व्यर्थ है बादल भटकन तेरी
प्रेम विहीन ये मरुस्थल है
तुझे पुकारें तुझसे लिपटें
कहाँ वो व्याकुल बाहें हैं
हर और लगा बाजार यहाँ
हर और मुस्कानों के मेले हैं
छद्म वेश में करती घायल
बे-बाण यहाँ निगाहें हैं
तेरे गिरते आंसू को न
कोई हथेली न रोकेगी
पत्थर दिल के आंचल पर
तूने व्यर्थ नयन छलकाये हैं


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 566

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on January 28, 2015 at 10:50am

आदरणीय  जितेन्द्र पस्टारिया जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया।  आभार  विलम्ब के लिए क्षमा। 

Comment by Sushil Sarna on January 28, 2015 at 10:50am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया।  आभार  विलम्ब के लिए क्षमा। 

Comment by Sushil Sarna on January 28, 2015 at 10:50am

आदरणीय  शिज्जु "शकूर"जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया।  आभार  विलम्ब के लिए क्षमा। 

Comment by Sushil Sarna on January 28, 2015 at 10:49am

आदरणीय   gumnaam pithoragarhi  जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया।  आभार  विलम्ब के लिए क्षमा।

Comment by Sushil Sarna on January 28, 2015 at 10:48am

आदरणीय  Er. Ganesh Jee "Bagi" जी रचना पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का तहे दिल शुक्रिया।  आभार  विलम्ब के लिए क्षमा। 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 26, 2015 at 7:01pm

आदरणीय शुशील जी , सुंदर भाव लिए प्रस्तुति. बधाई व् गणतंत्र दिवस कि शुभकामनायें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 26, 2015 at 10:45am

आदरणीय सुशील भाई , बढ़िया रचना हुई है , आपको हार्दिक बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 26, 2015 at 8:39am

आदरणीय सुशील सर अच्छी भावाभिव्यक्ति है बहुत बहुत बधाई इस रचना के लिये

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 25, 2015 at 10:35pm

सुन्दर, भावपूर्ण , बधाई आदरणीय सुशील सरना जी, सादर।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 25, 2015 at 1:54pm

आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना प्रस्तुत हुई है. बहुत बहुत बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
Saturday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service