For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

' मै कभी नहीं मरता ' --अतुकांत -- गिरिराज भंडारी

मै कभी नहीं मरता

******************

आप बच नहीं सकते

उलझने से

ऐसा इंतिज़ाम है मेरा

फैला दिया है मैने मेरा अहंकार हर दिशाओं मे

हर दिशाओं के हर कोणों में

बस मैं हूँ , मैं

 

कहीं भी जायें, उलझेंगे ज़रूर

जब भी कोई उलझता है , मेरे मैं से 

चोटिल करता उसे

तत्काल मुझे ख़बर लग जाती है , और तब

मुझे खड़ा पाओगे तुम उसी क्षण

अपने विरुद्ध

तमाम हथियारों से सुसज्जित

 

ये भी तय है ,

हरा नहीं पाओगे तुम मुझे

कोई नहीं हरा पाया आज तक

मैं मानता ही नहीं हार

 

मै मरता भी नहीं

मैं टूटता हूँ , टुकड़ों में , फिर

पिघलता है मेरा अस्तित्व

तरलता आती है , ठोस में   

फिर मै वाष्प बन जाता हूँ

फैल जाते हैं मेरे कण कण सारे ब्रम्हांड में

और विलीन हो जाता सारा अहम्

उस परम में , परम के अहम् में

फिर से मुझ जैसे किसी एक में आने के लिये ।

*******************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 22, 2015 at 8:18pm
बहुत ही दार्शनिक रचना है , मैं जो कुछ है नहीं , वह कभी मरता भी नहीं। बहुत ही चिंतनीय है. बधाई आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , इस प्रस्तुति पर, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on January 22, 2015 at 8:13pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी सर बहुत ही शानदार दर्शन से सुसज्जित  रचना , हार्दिक बधाई ! सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 22, 2015 at 7:50pm

'अहम' पर बहुत सही चिंतन मनन करती रचना. बधाई आदरणीय गिरिराज जी

Comment by somesh kumar on January 22, 2015 at 7:15pm

जीवन चक्र ,आत्मा-परमात्मा -आत्मा |ख्याल में कितनी व्यापकता |आत्मा-स्वरूप होना ,जहाँ सब कुछ एक खेल है और एक स्थाइत्व भी है |अच्छी रचना |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 22, 2015 at 7:01pm
आदरणीय गिरिराज सर, नए तरीके से अहम् को प्रस्तुत किया। शानदार रचना। हार्दिक बधाई।
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 22, 2015 at 6:50pm

वाह खूब है सर ही वाह ............... हर दिशाओं .............या
हर दिशा

Comment by दिनेश कुमार on January 22, 2015 at 6:24pm
लाजवाब रचना, उम्दा सोच, सर जी।
Comment by दिनेश कुमार on January 22, 2015 at 6:20pm
Magar main toh mar chuka hun....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service