For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अच्छे दिन

अच्छे दिन

दिखे हैं अभी इश्तिहारो में अच्छे दिन|

या सुनता हूँ  बस नारों में अच्छे दिन|

सड़क पर बेचता है खिलौना अभी भी बच्चा

तेल सस्ता हुआ तो कारों के अच्छे दिन|

दिहाड़ी- मजदूर चौराहे पर खड़ा बेरोजगार

सजी दूकानें हैं तो बाजारों के अच्छे दिन|

घोटालेबाज बरी , अफसर की तब्दीली

खूब समझते हैं इशारों के अच्छे दिन|

किसान करे खुदखुशी, हाथ बस मायूसी

 हैं खेत हड़पते सिसियाते  अच्छे दिन|

पी. के. पर विवाद, ऍम.एस.जी पर सेंसर कुर्बान

यही है मजहबी, नारों के अच्छे दिन|

58 पर सीलिंग हमें,ताउम्र तुम्हारी सियासत

सरकारी मुलाजिम भी समझ रहें है तुम्हारे अच्छे दिन|

ढूंढता हूँ अभी कहाँ है हमारे अच्छे दिन

किरण मोहरा राजनीति ने देखा मराठा हरियाणा

आम आदमी की नजर पहचानती है तुम्हारी अच्छे दिन|

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

Views: 407

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on January 22, 2015 at 4:13pm
आ. सोमेश जी , बेहद खूबसूरती से शब्दों को समायोजित करते हुए सामायिक रचना की आपने । पढकर अच्छा लगा । आभार
Comment by Hari Prakash Dubey on January 19, 2015 at 7:16pm

 सोमेश भाई कुछ दिनों से आपकी कमी खल रही थी ....बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति , हार्दिक बधाई आपको !

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 19, 2015 at 5:41pm

सामयिक कह लो, या फिर अनवरत. 'अच्छे दिन' की बस! यही कल्पनायें हैं. बहुत-२ बधाई आदरणीय सोमेश भाई जी

Comment by maharshi tripathi on January 19, 2015 at 2:34pm

अच्छी रचना पर आपको बधाई आ. सोमेश जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 19, 2015 at 2:25pm

सोमेश जी

बहुत अच्छे संदर्भो से अच्छे दिनों को आपने जोड़ा i बधाई हो i

Comment by Dr. Vijai Shanker on January 19, 2015 at 4:15am
आदरणीय सोमेश कुमार जी, बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति, बहुत से विषयों को लेते हुए एक प्रभावशाली रचना।
बहुत बहुत बधाई, सादर।
Comment by somesh kumar on January 18, 2015 at 10:58pm

शुक्रिया ,वक्त ना मिलने के कारण काव्य-उत्सव में शिरकत नहीं कर सका और इस कविता पर काम करने का भी अधिक मौक़ा ना मिला ,फिर भी मंच पर इस रचना की स्वीक्रति के लिए आ.सम्पादक महोदय का आभार |रचना पढ़ कर उस पर अपनी अमूल्य टिप्पणी देने के लिए मिथिलेश वामनकर भाई जी आपका भी शुक्रिया |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 18, 2015 at 10:45pm

आदरणीय सोमेश भाई जी अच्छे दिनों पर कविता में अच्छा व्यंग्य है. इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
yesterday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service