For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - बुलावा आज भी आता है, नदियों कोहसारों से ( गिरिराज़ भंडारी )

१२२२     १२२२     १२२२     १२२२२

कभी  आवाज  की  सूरत , कभी केवल  इशारों से

बुलावा  आज  भी  आता है , नदियों  कोहसारों से   

 

मैं प्यासा  तो  नहीं  हूँ पर  सराबों  से ये  पूछूंगा   

कि  बदली  क्यूँ  गुजरती ही  नहीं  है रेगजारों से

 

बड़ी   बेताब  सी  लहरें  बढ़ी  तो  हैं  ज़रा  देखें

वो  कहना  चाहती है क्या, अभी जाकर किनारों से

 

अभी  मायूसियाँ  छाई  हुयी हैं दिल में अन्दर तक

अभी कुछ दिन न आये घर , कोई कह दे बहारों से

 

जो  भटका  रहनुमाँ ही हो, तो राहें  क्या करें यारों

शिकायत  बेसबब  क्यूँ  कर रहे  हो  रहगुजारों से

 

विदा  के  वक़्त  डोली  में  जो  बैठेगी  मेरी बेटी

कभी  धीमा चले कहना , कभी थम थम कहारों से

 

ग़रीबी  है  उदासी  है ,  कहीं  है  भूख   लाचारी

इन्हीं  रंगों को ले खुशियाँ  रचेंगे  हम  नजारों से

 

बहुत  रोते  हुए  नग्मे   सुने , गाये  उदासी  को 

रगों  में  बिजलियाँ भर दो कहो नगमा निगारों से

**********************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 761

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by ram shiromani pathak on January 4, 2015 at 3:34pm
बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय।।हार्दिक बधाई आपको
Comment by Hari Prakash Dubey on January 4, 2015 at 2:53pm

बुलावा  आज  भी  आता है , नदियों  कोहसारों से.......आदरणीय गिरिराज भंडारी सर ,बहुत ही सुन्दर रचना है ! हार्दिक बधाई , सादर !

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2015 at 11:12am

आदरणीय शिज्जु भाई , बहुत बहुत आभार आपका गज़ल की सराहना के लिये ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2015 at 11:11am

आदरणीय दिनेश भाई , सराहन और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 4, 2015 at 11:11am

हौसला अफज़ाई के लिये बहुत बहुत शुक्रिया , आदरनीय अनुराग भाई !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 4, 2015 at 10:24am

बहुत बढ़िया ग़ज़ल आदरणीय गिरिराज जी बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by दिनेश कुमार on January 4, 2015 at 10:00am
Aik se badkar aik sher....waaaah sir ji...waaaaaaaah
Comment by Anurag Prateek on January 4, 2015 at 7:17am

जो  भटका  रहनुमाँ ही हो, तो राहें  क्या करें यारों

शिकायत  बेसबब  क्यूँ  कर रहे  हो  रहगुजारों से --= kya baat hai

Comment by Anurag Prateek on January 4, 2015 at 7:16am

poori gazal waaaaaaaaaaaaaaah wah adarniya

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service