For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

इक ग़ज़ल (आईने भी ज़बान रखते हैं !! )

आज हम भी मकान रखते है
साथ अपना जहान रखते है !!

प्यार से देख लो जरा तुम भी
आईने भी ज़बान रखते हैं !!

जिंदगी में कमी नहीं कोई
इसलिए कुछ  गुमान रखते है !!

तुम हमें छोड़ कर नहीं जाना |
तुम में* हम अपनी*जान रखते हैं ||

साथ उनके रहे सभी अपने,
खास सबका भी* मान रखते है !!

फूल कितने खिलाय आँगन में
वो बहुत घर का* ध्यान रखते है !!

है सभी काम का पता उनको !
वो तजुर्बा तमाम रखते है !!  


(अप्रकाशित और मौलिक )
** आलोक **

मथुरा

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Alok Mittal on January 17, 2015 at 2:29pm

आ. मिथिलेश वामनकर जी...आपका आभार बहुत

Comment by Alok Mittal on January 17, 2015 at 2:27pm

आ. भुवन निस्तेज जी....आभार आपका आदरणीय

Comment by Alok Mittal on January 17, 2015 at 2:27pm

आ. Hari Prakash Dubey जी....बहुत बहुत शुक्रिया आपका दिलसे

Comment by Alok Mittal on January 17, 2015 at 2:27pm

आ. गिरिराज भंडारी भाई जी ....आपका दिल से आभार आपने मुझे कुछ नई जानकारी दी ...सुधार कर लूँगा ..आभार आपका

Comment by भुवन निस्तेज on January 16, 2015 at 8:23am
बधाई स्वीकार करें आदरणीय....
Comment by Alok Mittal on December 29, 2014 at 11:27am

आ. Anurag Prateek जी ये चूक हो गयी हमसे ...बहुत माफ़ी  मांगते है आप सब से ...

Comment by Alok Mittal on December 29, 2014 at 11:26am

आ. Anurag Prateek जी.....दिल से आभार आपका ....

Comment by Alok Mittal on December 29, 2014 at 11:25am

आ. शिज्जु "शकूर" जी आपका बहुत बहुत आभार आपने हौसाला बढाया है मेरा !..

Comment by Hari Prakash Dubey on December 28, 2014 at 8:13pm

आज हम भी मकान रखते है 
साथ अपना जहान रखते है !!......आदरणीय आलोक मित्तल जी ,सुन्दर रचना पर हार्दिक बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 28, 2014 at 3:33pm

आदरणीय आलोक भाई , खूबसूरत ग़ज़ल कही है आपने , दिली बधाई स्वीकार करें ।
मै आ. शिज्जु भाई जी से सहमत हूँ -

मात्रा गिराने को चिन्हित करने से बहुत अच्छा होता है , गज़ल की बहर को ऊपर लिख देना , जो इस मंच की रचनाकारों से नम्र निवेदन भी है । बहर लिखने से न केवल मात्राये स्वयम समझ मे आ जाती है बल्कि अगर गज़ल का कोई मिसरा बेबह्र हो रहा हो तोभी जानकार इंगित कर सकते हैं
1 - आपने शायद - 2122 1212 22 /112 बहर मे ग़ज़ल कही है , इस बहर के हिसाब से --आईने भी ज़बान रखते हैं , मिसरे मे ई की मात्रा आप गिरा रहे हैं जो नियमतः उचित नहीं है ।

2- खास सबका भी* मान रखते है !! इस मिसरे मे - भी हटा देने से भी अर्थ वही रहता है , मेरे ख्याल से भी भर्ती का शब्द लगता है , सोच के देखियेगा । भर्ती के श्ब्दों से जहाँ तक हो सके बचना उचित है
3- वो तजुर्बा तमाम रखते है इस शे र मे काफिया ही बदल गया है , आन काफिया लेके आप चले हैं , यहाँ आम हो गया है । सुधार लीजियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत ही उत्तम और सार्थक कुंडलिया का सृजन हुआ है ।हार्दिक बधाई सर"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
" जी ! सही कहा है आपने. सादर प्रणाम. "
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, एक ही छंद में चित्र उभर कर शाब्दिक हुआ है। शिल्प और भाव का सुंदर संयोजन हुआ है।…"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति स्नेह और मार्गदर्शन के लिए बहुत बहुत…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"अवश्य, आदरणीय अशोक भाई साहब।  31 वर्णों की व्यवस्था और पदांत का लघु-गुरू होना मनहरण की…"
21 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, आपने रचना संशोधित कर पुनः पोस्ट की है, किन्तु आपने घनाक्षरी की…"
22 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   नन्हें-नन्हें बच्चों के न हाथों में किताब और, पीठ पर शाला वाले, झोले का न भार…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service