For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक धरा है एक गगन है

एक धरा है एक गगन है

किंतु विभाजित अपना मन है

 

मीत किसी का ख़ाक बनेगा

उसकी ख़ुद से ही अनबन है

 

याद तुम्हारी महकाये मन

इस सहरा में इक गुलशन है

 

स्वर्ग तिहारे चरणों की रज

मातृधरा तुझको वंदन है

 

चौक बड़ा सा एक चबूतर

यादों में कच्चा आँगन है

 

नहीं बहलता खुशियों से मन

ग़म से अपना अपनापन है

 

आँसू बाती आँखें दीपक

दुख की लौ में सुख रोशन है

 

घाव दिये हैं जिनने दिल को

उनका दिल से अभिनन्दन है

 

रोजाना ढूँढू जिसमें ख़ुद को

माज़ी वो धुँधला दर्पण है

.

मौलिक व अप्रकाशित 

 

Views: 709

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ram Ashery on December 25, 2014 at 11:24am

very nice congrats

Comment by khursheed khairadi on December 24, 2014 at 3:36pm

आदरणीय पाठक साहब ,राहुल डांगी साहब आपकी मूल्यवान टिप्पणियों ने मेरा उत्साहवर्धन किया है |हृदयतल से आभार |सादर  

Comment by khursheed khairadi on December 24, 2014 at 3:33pm

आदरणीय विजयशंकर जी ,गुमनाम साहब,शकूर साहब ,सोमेश जी ,अनुराग जी ,आदरणीया छाया जी ,आदरणीय हरिवल्लभ जी ,बागी साहब ,आप सभी के स्नेह और आशीर्वाद का हृदय से आभारी हूं |सादर  

Comment by khursheed khairadi on December 24, 2014 at 3:26pm

आदरणीय मिथिलेश जी ,स्नेह के लिए आभारी हूं |आखरी शेर का ऊला मिसरा 'रोज़ निहारूं जिसमें ख़ुद को "अथवा" हर दिन ढूँढू जिसमे ख़ुद को " रखा जा सकता है |त्रुटि पर ध्यान दिलाने एवं ग़ज़ल पर मुहब्बत बरसाने के लिए तहेदिल से शुक्रगुज़ार हूं |सादर 

Comment by khursheed khairadi on December 24, 2014 at 3:17pm

आदरणीय हरिप्रकाश जी ,सादर आभार |स्नेह बनाये रखियेगा 

Comment by khursheed khairadi on December 24, 2014 at 3:15pm

आदरणीय गोपालनारायण साहब ,आपको ग़ज़ल पसंद आई और आपने स्नेहिल टीप की इसके लिए हृदय तल से आभार |आशा है आप इसी तरह आशीर्वाद बनाये रखेंगे |

सादर 

Comment by khursheed khairadi on December 24, 2014 at 3:11pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी साहब ,आशीर्वाद के लिय हृदय से आभारी हूं |मेरे mts डोंगल ख़राब हो जाने और दूसरा डोंगल खरीदने में आलस कर जाने के कारण काफ़ी अरसा इस समृद्ध पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज़ नही करा पाने के लिए क्षमाप्रार्थी हूं |आशा हैं आपके स्नेह में कोई कमी नहीं आई होगी |

सादर 

Comment by ram shiromani pathak on December 24, 2014 at 12:44am
आहा आनंद आ गया आदरणीय।।हार्दिक बधाई आपको
Comment by harivallabh sharma on December 24, 2014 at 12:23am

बहुत सुन्दर ग़ज़ल आदरणीय khursheed khairadi साहब..

मीत किसी का ख़ाक बनेगा

उसकी ख़ुद से ही अनबन है

 

याद तुम्हारी महकाये मन

इस सहरा में इक गुलशन है...बहरीन शेर,,बधाई आपको.

Comment by Rahul Dangi Panchal on December 23, 2014 at 10:43pm
बहुत सुन्दर वाह बहुत सुन्दर!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आद0 सुरेश कल्याण जी सादर अभिवादन। बढ़िया भावभियक्ति हुई है। वाकई में समय बदल रहा है, लेकिन बदलना तो…"
1 hour ago
नाथ सोनांचली commented on आशीष यादव's blog post जाने तुमको क्या क्या कहता
"आद0 आशीष यादव जी सादर अभिवादन। बढ़िया श्रृंगार की रचना हुई है"
1 hour ago
नाथ सोनांचली commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post मकर संक्रांति
"बढ़िया है"
1 hour ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति -----------------प्रकृति में परिवर्तन की शुरुआतसूरज का दक्षिण से उत्तरायण गमनहोता…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

नए साल में - गजल -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

पूछ सुख का पता फिर नए साल में एक निर्धन  चला  फिर नए साल में।१। * फिर वही रोग  संकट  वही दुश्मनी…See More
2 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service