For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुदा को दो नयी मज़ार बनानी थी

छुपा कर दिल में रक्खी थी

बचपन में बनी प्रेम कहानी थी

 

तुम्हारे जिस पर नाम लिखे थे

दीवार वो, बहुत पुरानी थी

 

पगली ,इश्क में तेरे दीवानी थी

तूने फ़ौज मैं जाने की ठानी थी    

 

तुझे सेहरा बाँध के आना था

निकाह की रस्म निभानी थी

 

कुछ अजब तौर की कहानी थी

तेरी लाश तिरगे में आनी थी

 

उठ गए थे खुनी खंज़र

जान तो जानी ही थी

 

अरे आसमां से तो पूछ लेता

खुदा गर तुझे ,बिजली गिरानी थी

 

तू चाहता तो बक्श देता, ए खुदा  

पर तुझे, दो नयी मज़ार बनानी थी !!

 

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 773

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on December 10, 2014 at 10:54am

ग़ज़ल कहने का अच्छा प्रयास है, मंच पर मौजूद ग़ज़ल सम्बन्धी सामग्री को पढ़कर उसका लाभ उठाएं भाई हरि प्रकाश दुबे जी।

Comment by Hari Prakash Dubey on December 3, 2014 at 7:48pm

आदरणीय डॉक्टर गोपाल नारायण जी ,उत्साहवर्धन के लिए आपका दिल से आभार !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 3, 2014 at 7:46pm

आपका हार्दिक धन्यवाद श्री सुशील सरना जी !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 3, 2014 at 7:45pm

सुश्री सीमा जी आपकी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2014 at 6:52pm

हरि प्रकाश जी

बहुत  बहुत अच्छे  शेर  i

Comment by Sushil Sarna on December 3, 2014 at 4:38pm

अरे आसमां से तो पूछ लेता

खुदा गर तुझे ,बिजली गिरानी थी

 .... वाह मित्र  Hari Prakash Dubey बहुत सुंदर ग़ज़ल।

Comment by seematiwari on December 3, 2014 at 10:56am

बहुत सुन्दर आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी !

Comment by Hari Prakash Dubey on December 2, 2014 at 11:34pm

आदरणीय मिथिलेश भाई आपका हृदय से आभार !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 2, 2014 at 11:30pm

भावपूर्ण सुन्दर प्रस्तुति.... बधाई 

Comment by Hari Prakash Dubey on December 2, 2014 at 11:08pm

बहुत बहुत धन्यवाद् आपका श्री अजय शर्मा जी !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service