For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चमचमाती हुई विेदेशी गाड़ी देखकर जैसे कान्ता ही चौंधिया गईं गाड़ी का दरबाजा खुला तो अन्दर से निकले बिदेशी इत्र का ज़बरदस्त झौंका उसके नथुनों से टकराया। सर से पाँव तक ज़ेवरों से लदी हुई बन्दिता नपे तुले पाँव जमीन पर रखते हुए गाड़ी से बाहर आई और कहा : “
मैने सोचा, तुम्हें शादी में अपने साथ ही ले चलूँ  और इसी बहाने तुम्हारा घर भी देख लूँ । किधर हे तुम्हारा घर ?”
“वो उधर उस गली में, लेकिन उधर गाड़ी नही जाएगी। ” कान्ता ने अपने घर की तरफ इशारा करते हुए बताया ।
“गाडी वहाँ नही जा सकती, तुम कुछ देर यहीँ रुको,” बन्दिता ने मुडकर ड्राइवर से कहा ।
कान्ता ने घर का दरबाजा खोला, घर के अन्दर दाखिल होते ही बन्दिता ने कहा:
“तुम्हारा घर तो बहुत छोटा है, कैसे एडजस्ट कर लेते हो ? कितने कमरे हैं ?”
“बस, उपर दो बेडरुम और नीचे ये किचन और लिविंगरूम।” कान्ता की आवाज मे थोड़ी कम्पन थी ।  
“भई हमारा बहुत बड़ा तीन मंज़िला बंगला है, खैर ! तुम जल्दी से तैयार होकर आ जाओ,” बन्दिता ने कुर्सी पर बैठते हुए कहा ।  
कान्ता तैयार होकर नीचे उतरी । बन्दिता ने कान्ता को उपर से नीचे तक देखकर कहा: “अरे ! तुम ये मामूली सी साड़ी पहनकर जाओगी वहां ? और तुम्हारे जेवर कहाँ है ?”
यह सुनकर कान्ता के चेहरे पर क्षण भर में कई रंग आये और गए । खुद को संयत करते हुए कान्ता ने बड़े गर्व से उत्तर दिया:
“वो कवि गोष्ठी मे गए हुए है ।”

.

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Bipul Sijapati on November 3, 2014 at 12:35pm

आप सभि पुजनींय महानुभावोको मेरा लघुकथा अच्छा लगा, मेरा हार्दिक आभार और नमन ।


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 3, 2014 at 10:44am

बहुत अच्छी लघुकथा कही है, लघुकथा का अंत बहुत पसंद आया।  बधाई स्वीकारें।   

Comment by Shubhranshu Pandey on November 2, 2014 at 7:55pm

आदरणीय विपुल जी.

सुन्दर कथा. सहजता को आत्मबल बनाना आसान न्हीं होता है. कवियों के साधारण जीवन यापन और पत्नियों के सम्मान को सुन्दर ढंग से कहा है.

सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 1, 2014 at 6:15pm

बहुत सुन्दर वाह ...अंत ने तो निःशब्द कर दिया ,बधाई आपको .

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 1, 2014 at 9:19am

बहुत ही बेहतर लघुकथा,आदरणीय विपुल जी. बधाई आपको


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 1, 2014 at 5:28am

“वो कवि गोष्ठी मे गए हुए है ।” बहुत खूब आदरनीय , इस जवाब ने तो निरुत्तर कर दिया । सुन्दर लघुकथा के लिये बधाई ।
.

Comment by Vindu Babu on October 30, 2014 at 11:07pm

 धन के मद से छाती असम्वेदनशीलता को बढ़िया ढंग से प्रस्तुत किया है आपने आदरणीय बिपुलजी।

कांता का परिणात्मक उत्तर तो निःशब्द कर रहा है। हार्दिक बधाई आपको।

सादर

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 30, 2014 at 3:02pm

वाह --- क्या बात है !

भारतीय नार्री का पति ही उसका जेवर है और यदि वह कवि है तो क्या बात है i कवि वह प्राणी है जो अपने जीवन के कुछ क्षणों  को पूर्णता में जीता है जब  वह कल्पना जगत में जाकर इस जग से नाता तोड़ लेता है i बहुत सुन्दर रचना i मेरी नजर में i

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service