For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथाः कुत्ता

"पापा ,आपको अब हमारे यहाँ दो महीने हो गए हैं, अब छोटू का नंबर है !आपकी टिकट करवा दी है !"

"ठीक है ,बेटा !"

(मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 740

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on October 28, 2014 at 12:08pm

सुन्दर कथा. गहरे तक उतरती चली गयी.

सादर.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on October 16, 2014 at 10:17am

शीर्षक के सन्दर्भ में भाई गणेश बागी की जी लघुकथा लघुकथा का उदहारण बिलकुल सटीक है भाई नीलेस जी.

Comment by Neeles Sharma on October 16, 2014 at 9:44am

आदरणीय योगराज सर,
आप तो मेरे गुरु हैं ,आपके तीन महीने का प्रयास अब दिखने लगा है मेरे लेखन में ( थोड़ा थोड़ा ) !
इस कथा में मेरे लिए खास बात रही शीर्षक ! इसका श्रेय गणेश बागी सर की लघुकथा गुब्बारा को जाता है ! उसी लघुकथा में मैंने देखा शीर्षक का कहानी में सीधे उपयोग न करते हुए कहानी के भाव के आधार पे शीर्षक रखा गया (मुझे पता नहीं इस हुनर का साहित्य में क्या नाम है ?) लेकिन इससे कहानी बहुत मारक हो जाती है ! पाठक थोड़ा और गहराई में सोचता है और ऐसे शीर्षक एक्स्ट्रा पंच का काम करते हैं !
योगराज सर ,बागी सर को बहुत बहुत धन्यवाद और सभी मित्रों का तहेदिल से शुक्रिया जिन्होंने रचना को पसंद कर मुझे प्रोत्साहित किया !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 15, 2014 at 6:04pm

नीलेश जी
अति सुन्दरi केवल दो लाइन i गागर में सागर i


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 15, 2014 at 3:03pm

जबरदस्त मारक क्षमता है आदरणीय नील्स जी, बधाई स्वीकार करें।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 14, 2014 at 11:42pm

बहुत बढ़िया लघुकथा. जिन्होंने हमारा पालन किया, उन्हें हम क्यूँ ढोयें..? बहुत-बहुत बधाई आदरणीय नीलेश जी

Comment by विनय कुमार on October 14, 2014 at 11:40pm

बहुत सुन्दर लघुकथा , बधाई स्वीकारें..

Comment by somesh kumar on October 14, 2014 at 10:59pm

सार्थक रचना भाई जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on October 14, 2014 at 6:48pm

आ० नीलेश शर्मा जी

आश्रित पिता की शटल कॉक बनी ज़िंदगी को बहुत सटीक शब्द मिले हैं और शीर्षक भी एक दम उपयुक्त 

बहुत बहुत बधाई इस सान्द्र्तम लघुकथा प्रस्तुति पर 

Comment by Alok Mittal on October 14, 2014 at 1:37pm

बहुत सही लिखा है आपने नीलेश भाई ....

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"शुक्रिया। लेखनी जब चल जाती है तो 'भय' भूल जाती है, भावों को शाब्दिक करती जाती है‌।…"
5 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
7 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आप वस्तुतः एक बहुत ही साहसी कथाकार हैं, आ० उस्मानी जी. "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया विभा रानी जी, प्रस्तुति में पंक्चुएशन को और साधा जाना चाहिए था. इस कारण संप्रेषणीयता तनिक…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हमारा सौभाग्य है कि आप गोष्ठी में उपस्थित हो कर हमें समय दे सके। रचना…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रस्तुति नम कर गयी. रक्तपिपासु या हैवान या राक्षस कोई अन्य प्रजाति के नहीं…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service